नईदिल्ली(ए)। केंद्र सरकार ने भूजल स्तर में सुधार वाली अटल भूजल योजना का विस्तार बिहार, पंजाब और तमिलनाडु सहित पांच और राज्यों- तक करने की योजना बनाई है। सोमवार को संसद में पेश की गई एक संसदीय समिति की रिपोर्ट में यह बात कही गई है।
जल शक्ति मंत्रालय ने संसदीय समिति को यह भी बताया कि सरकार के प्रयासों के बावजूद अप्रत्याशित कारणों से कई राज्यों को गंभीर बाढ़ का सामना करना पड़ रहा है, खराब जल निकासी और प्राकृतिक जलमार्गों पर अतिक्रमण के कारण संकट और बढ़ गया है।
व्यय विभाग की सैद्धांतिक मंजूरी मिली
जल शक्ति मंत्रालय के तहत जल संसाधन, नदी विकास और गंगा पुनरुद्धार विभाग ने राजीव प्रताप रूडी की अध्यक्षता वाली जल संसाधन संबंधी संसदीय स्थायी समिति को सूचित किया है कि उसे अटल भूजल योजना का 8200 करोड़ रुपये के आवंटन के साथ विस्तार करने के लिए वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग की सैद्धांतिक मंजूरी मिल गई है।
सात राज्यों-हरियाणा, गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के 80 जिलों में पानी के संकट से जूझ रहीं 8774 ग्राम पंचायतों में यह योजना चल रही है। अटल भूजल योजना का विस्तार बिहार, पंजाब, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और तेलंगाना में इस शर्त के साथ किया जाएगा कि योजना का क्रियान्वयन केंद्रीय प्रायोजित योजना के रूप में किया जा सकता है।
इन पांचों राज्यों से पिछले साल अगस्त में अटल भूजल योजना को केंद्रीय योजना में बदलने के लिए स्वीकृति मांगी गई थी। पंजाब ने अपनी मंजूरी दे दी है, जबकि अन्य राज्यों की प्रतिक्रिया का इंतजार है। संसदीय समिति ने जल जीवन मिशन के तहत दिसंबर 2024 की समय सीमा तक भारत के सभी ग्रामीण घरों में नल का पानी उपलब्ध कराने का लक्ष्य पूरा नहीं होने पर चिंता जताई है। समिति ने केंद्र से खराब प्रदर्शन करने वाले राज्यों को उनके लक्ष्य हासिल करने में मदद करने का आग्रह किया है। समिति ने सोमवार को लोकसभा में पेश रिपोर्ट में यह भी कहा कि ओडिशा, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, झारखंड, केरल और राजस्थान में योजना की प्रगति राष्ट्रीय औसत से नीचे है।
बाढ़ का सामना क्यों कर रहे बिहार और यूपी?
सरकार ने केंद्रीय बजट में जल जीवन मिशन को 2028 तक बढ़ाने की घोषणा की। जल शक्ति मंत्रालय ने समिति को बताया है कि खराब जल निकासी और प्राकृतिक जलमार्गों पर अतिक्रमण के कारण बाढ़ का संकट और बढ़ गया है। समिति ने मंत्रालय से पूछा था कि सरकार के पर्याप्त इंतजामों के बावजूद उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों को अभी भी भीषण बाढ़ का सामना क्यों करना पड़ रहा है।
बहुउद्देश्यीय परियोजनाओं की जरूरत
मंत्रालय ने समिति को बताया कि बाढ़ को कम करने के कई प्रयासों और पहलों के बावजूद, कई राज्यों को अप्रत्याशित मौसम, अधिक लगातार और भारी वर्षा, असमान वर्षा वितरण, भूस्खलन, बर्फ पिघलने, बादल फटने और हिमनद झील के फटने के कारण गंभीर बाढ़ की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। मंत्रालय ने कहा कि चूंकि बिहार और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में बाढ़ आम तौर पर नेपाल से आने वाली नदियों के कारण होती है, बाढ़ की समस्या का दीर्घकालिक समाधान के लिए बहुउद्देश्यीय परियोजनाओं की जरूरत है।
जल की मांग और आपूर्ति के अंतर को पाटने के लिए कार्य बल का गठन हो
संसद की समिति ने भारत में पानी की मांग और आपूर्ति के बीच अंतर को पाटने के लिए राष्ट्रीय कार्यबल गठित करने की सिफारिश की। जल संसाधन संबंधी स्थायी समिति ने लोकसभा में पेश रिपोर्ट में कहा कि बढ़ती जनसंख्या, तेजी से औद्योगिकीकरण, शहरीकरण और जलवायु परिवर्तन ने पानी की उपलब्धता को सतत विकास के लिए महत्वपूर्ण मुद्दा बना दिया है।