Home देश-दुनिया देश में गेहूं और दालों की बुआई का रकबा बढ़ा, किसानों के लिए परेशानी का सबब बन सकती है फरवरी

देश में गेहूं और दालों की बुआई का रकबा बढ़ा, किसानों के लिए परेशानी का सबब बन सकती है फरवरी

by admin

नईदिल्ली(ए)। गेहूं के प्रति देश में किसानों का मोह बढ़ता ही जा रहा है। पिछले वर्ष के मुकाबले इस वर्ष गेहूं के रकबे में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार इस साल 4 फरवरी 2025 तक गेहूं की बुआई 324.38 लाख हेक्टेयर में की जा चुकी है, जबकि पिछले वर्ष इसी समय तक 318.33 लाख हेक्टेयर में गेहूं बोया गया था। यानी इस वर्ष गेहूं के रकबे में 6.05 लाख हेक्टेयर की वृद्धि हुई है। मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि फरवरी में तापमान सामान्य से अधिक रह सकता है। मौसम विभाग का पूर्वानुमान किसानों के लिए परेशानी का सबक बन सकता है। इससे पहले वर्ष 2022 में फरवरी माह से अप्रत्याशित गर्मी के कारण गेहूं सहित कई फसलों को काफी नुकसान पहुंचा था। यदि एक बार फिर से ऐसे हालात बनते हैं तो अच्छी बुआई के बावजूद गेहूं को नुकसान पहुंच सकता है। रबी सीजन की दूसरी बड़ी फसल दलहन है। इस साल दलहन का रकबा भी बढ़ा है। दालों की बुआई का कुल रकबा इस वर्ष 140.89 लाख हेक्टेयर रहा, जो पिछले वर्ष 137.80 लाख हेक्टेयर की तुलना में 3.09 लाख हेक्टेयर अधिक  है। इनमें चना 98.55, मसूर 17.43, मटर 7.94 और उड़द 6.12 लाख हेक्टेयर शामिल हैं।  पिछले साल के मुकाबले चने की बुआई में 2.44 लाख हेक्टेयर की कमी आई है।

रबी वाली धान की खेती बढ़ी
रबी सीजन में लगाई जाने वाली धान की खेती में भी बढ़ोतरी हुई है। इस बार 42.54 लाख हेक्टेयर में धान की खेती हुई जो पिछले वर्ष के 40.59 लाख हेक्टेयर से अधिक है। देश में रबी की धान की खेती दक्षिण भारत और महाराष्ट्र में ज्यादा होती है। कृषि मंत्रालय के अनुसार श्री अन्न यानी मोटे अनाजों की खेती 55.25 लाख हेक्टेयर में की जा चुकी है। इसमें ज्वार 24.35 , मक्का 23.67 और जौ 6.20 लाख हेक्टेयर की प्रमुख हैं। श्रीअन्न की खेती का रकबा लगभग पिछले वर्ष जैसा ही है।

सरसों की बुआई में गिरावट
देश में इस वर्ष तिलहन फसलों की बुआई का कुल क्षेत्रफल 97.47 लाख हेक्टेयर दर्ज किया गया है। इसमें से सरसों की बुआई 89.30 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में हुई है। जबकि पिछले वर्ष यह 91.83 लाख हेक्टेयर रकबे में हुई थी। धान की कटाई देरी से होने की वजह से किसानों को नवंबर में सरसों की बुवाई करनी पड़ी। आमतौर पर सरसों की बुआई के लिए अक्टूबर का महीना सबसे अच्छा माना जाता है।

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