Home देश-दुनिया ‘पंचायतों को कानूनी रूप से सशक्त बनाने की है जरूरत’; मध्यस्थता सम्मेलन में बोलीं राष्ट्रपति

‘पंचायतों को कानूनी रूप से सशक्त बनाने की है जरूरत’; मध्यस्थता सम्मेलन में बोलीं राष्ट्रपति

ऐसा तंत्र बनाए कि गांवों के विवाद वहीं निपट जाएं

by admin

नईदिल्ली(ए)। पंचायतों को गांवों में विवादों को सुलझाने और मध्यस्थता करने के लिए कानूनी रूप से सशक्त बनाने के लिए विवाद समाधान तंत्र को ग्रामीण क्षेत्रों तक बढ़ाने की सख्त जरूरत है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शनिवार को नई दिल्ली में प्रथम राष्ट्रीय मध्यस्थता सम्मेलन 2025 को संबोधित करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा कि गांवों में सामाजिक सद्भाव राष्ट्र को मजबूत बनाने की एक आवश्यक शर्त है। गांवों में पारिवारिक या भूमि विवादों में मध्यस्थता करने वाले लोग सामाजिक रूप से सशक्त होते हैं, लेकिन उनके पास कानूनी सशक्तिकरण का अभाव होता है। इस वजह से ऐसे मामले गांव के स्तर पर ही नहीं सुलझ पाते हैं। उन्होंने आगे कहा कि विवादों के समाधान के दौरान, प्रभावित पक्षों को पता होता है कि मध्यस्थों के पास कानूनी शक्तियों का अभाव होता है, इसलिए वे निर्णयों से सहमत नहीं होते हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि मध्यस्थता न्याय प्रदान करने का एक अनिवार्य हिस्सा है। यह भारतीय संविधान के मूल में है। उन्होंने कहा कि मध्यस्थता न केवल विचाराधीन विशिष्ट मामले में न्याय देने में तेजी ला सकती है, बल्कि अन्य मामलों में भी बड़ी संख्या में मुकदमों के बोझ को कम कर न्याय दे सकती है।

ऐसा तंत्र बनाए कि गांवों के विवाद वहीं निपट जाएं
राष्ट्रपति ने कहा कि ऐसा तंत्र बनाने की जरूरत है जहां गांव स्तर पर विवादों का निपटारा वहीं हो जाए, माहौल खराब न हो और लोग सद्भाव के साथ रहें। उन्होंने कहा कि इस तरह से कई छोटे-मोटे मुद्दों को जमीनी स्तर पर ही सुलझाया जा सकता है। मुर्मू ने कहा कि शायद यह किसी चूक या वक्त की कमी की वजह से गांव से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक न्यायिक व्यवस्था स्थापित नहीं हो पाई है। उन्होंने कहा कि गांवों में मध्यस्थता की व्यवस्था पहले से ही थी, लेकिन लोग अब शिक्षित हो गए हैं, इसलिए उन्हें पता है कि मध्यस्थों के पास कोई शक्ति नहीं है। इस कार्यक्रम में भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना, सीजेआई पदनाम बीआर गवई और कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल भी मौजूद थे।

एसजी तुषार मेहता ने बढ़ते मुकदमों के लिए नए संदर्भ-संवेदनशील समाधानों की वकालत की
भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने शनिवार को भारत के बढ़ते मुकदमों के लिए नए और अधिक संदर्भ-संवेदनशील समाधानों की वकालत की। उन्होंने कहा कि मध्यस्थता को बढ़ावा देना फायदेमंद होगा क्योंकि इससे पक्षों को आपसी समझ बनाने में मदद मिलेगी। वे ‘मध्यस्थता की प्रभावकारिता और पहुंच की खोज’ पर राष्ट्रीय सम्मेलन में बोल रहे थे। यहां उन्होंने मध्यस्थता बार एसोसिएशन को एक परिवर्तनकारी कदम बताया।

मेहता ने कहा कि वकील होने के नाते हम जानते हैं कि विवाद हमारे जीवन का एक अपरिहार्य हिस्सा हैं। जब कोई मामला अदालत में जाता है, तो एक पक्ष संतुष्ट हो जाता है जबकि दूसरा असंतुष्ट हो जाता है। ऐसे में जरूरत है नए तरीकों की। मध्यस्थता बार एसोसिएशन तेज और अधिक लचीले तरीके लेकर आएगी। ‘मध्यस्थता बार एसोसिएशन’ एक बार एसोसिएशन के भीतर एक संगठन या समिति को संदर्भित करता है, जो वैकल्पिक विवाद समाधान विधि के रूप में मध्यस्थता को बढ़ावा देने और समर्थन करने पर ध्यान केंद्रित करता है।

Share with your Friends

Related Posts