गुवाहाटी (ए)। अगर सब कुछ ठीक रहा तो आने वाले समय में भारतीय सेना अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बंकरों के निर्माण में पारंपरिक निर्माण सामग्री की जगह पर बांस का इस्तेमाल करेगी। इसके लिए सेना और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, गुवाहाटी (आईआईटी-जी) ने समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए। इसके तहत अधिक ऊंचाई में बंकरों के निर्माण में पारंपरिक निर्माण सामग्री के स्थान पर एपॉक्सी बांस-आधारित कंपोजिट्स के शोध, डिजाइन और निर्माण किया जाएगा।
गुवाहाटी में रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल महेंद्र सिंह रावत ने बताया इस परियोजना से अधिक ऊंचाई वाले इलाकों में रक्षा कार्यों का निर्माण में मदद मिलेगी। बांस से निर्मित पैनल भी पहले की तरह ही सुरक्षा स्तर प्रदान करेंगे, हालांकि इनका वजन कम होगा। इससे आपूर्ति परिवहन में समय और प्रयास की बचत होगी।
लेफ्टिनेंट कर्नल रावत ने बताया कि समझौते पर लाल हार्न्स डिवीजन के जीओसी मेजर जनरल रोहिन बावा और आईआईटी-जी के निदेशक प्रो. देवेंद्र जलिहाल की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए गए। मेजर जनरल बावा ने इस साझेदारी को नवाचार और सहयोग की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया। उन्होंने कहा कि यह पहल शोध तथा विकास संस्थाओं व सैन्य शैक्षिक निकायों के बीच सहयोग के नए मानक स्थापित करेगी, जिससे तकनीकी प्रगति को बढ़ावा मिलेगा। यह साझेदारी देश के ‘आत्मनिर्भर भारत’ मिशन को समर्थन देगी।