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कर्नाटक (ए)। कर्नाटक में दो दिन पहले ही आखिरी बचे दो नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर दिया। इनमें एक श्रींगेरी के किगा गांव में रहने वाला नक्सल कोथेहुंडा रविंद्र (44) और दूसरा कुंडापुरा का रहने वाला थोंबुटु लक्ष्मी उर्फ लक्ष्मी पूजार्थी (41) थे। इनमें से एक ने चिकमंगलूर, जबकि दूसरे ने उडुपी जिले में सरेंडर किया। इसी के साथ राज्य की सिद्धारमैया सरकार ने दावा किया कि कर्नाटक अब नक्सल मुक्त राज्य बन चुका है। वैसे तो यह अपने आप में चौंकाने वाली बात है कि जिस राज्य में देश का आईटी हब- बंगलूरू मौजूद है, वहां नक्सल समस्या 21वीं शताब्दी के दूसरे दशक तक बनी हुई थी। लेकिन इसे हटाने के लिए जो अभियान चलाया गया, वह अपने आप में काफी उपलब्धियां समेटे हुए हैं।
सरकार ने नक्सलियों को सरेंडर करने के बदले तीन किस्तों में 7.5 लाख रुपये का सहायता पैकेज देने की घोषणा की। हालांकि, उनके सामने अपने ऊपर दर्ज केसों का सामना करने की शर्त रखी गई। राज्य सरकार ने उन्हें कानूनी मदद मुहैया कराने का वादा किया। सरकार की इस योजना के तहत आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को एक साल के लिए कौशल विकास ट्रेनिंग और 5000 रुपये की मासिक सहायता देने का भी वादा किया गया। औपचारिक शिक्षा लेने की स्थिति में उनकी यह सहायता दो साल तक जारी रखने का भरोसा दिया गया।