संसद ने वर्ष 2008 में एक कानून पारित किया था, जिसमें नागरिकों को उनके घर के समीप न्याय मुहैया कराने के लिए ग्राम न्यायालयों की स्थापाना का प्रविधान किया गया था। यह सुनिश्चित किया गया था कि सामाजिक, आर्थिक या अन्य परेशानियों के कारण किसी को न्याय प्राप्त करने के अवसरों से वंचित न किया जाए।

इस मामले पर पीठ ने सुनाया फैसला

जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें केंद्र और सभी राज्यों को सर्वोच्च न्यायालय की निगरानी में ग्राम न्यायालय स्थापित करने के लिए कदम उठाने का निर्देश देने का आग्रह किया गया है।