नई दिल्ली (ए)। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने हाल के दिनों में दुनिया में उथल-पुथल भरी घटनाओं के संदर्भ में भारत का यह रुख दोहराया है कि बहुलवाद और सहयोग की भावना से ही वर्तमान वैश्विक चुनौतियों का सामना किया जा सकता है।
बिरला ने जेनेवा में अंतर संसदीय संघ (आइपीयू) को संबोधित करते हुए कहा कि विज्ञान, तकनीक और नवाचार के क्षेत्र में विधायी सदनों के बीच व्यापक संवाद और सहयोग अत्यंत आवश्यक है। आइपीयू जैसे मंच के माध्यम से दुनिया भर की संसदें साझी कार्ययोजनाओं और साझे प्रयासों के द्वारा समावेशी विकास का मार्ग प्रशस्त करने में कामयाब होंगी। उन्होंने इस पर विशेष रूप से जोर दिया कि सभी संसदों को मिलकर विज्ञान और तकनीक के फायदों का उचित और न्यायसंगत वितरण सुनिश्चित करना चाहिए।
ओम बिरला ने PM मोदी की वन ग्रिड की पहल का किया उल्लेख
दरअसल इस सभा में चर्चा का विषय ही शांतिपूर्ण और सुरक्षित भविष्य के लिए विज्ञान, तकनीक और नवाचार का उपयोग है। जलवायु परिवर्तन और ऊर्जा सुरक्षा के बारे में बिरला ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की वन सन, वन वर्ल्ड, वन ग्रिड की पहल का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि पिछले एक दशक में भारत की ऊर्जा क्षमता 76 गीगा वाट से बढ़कर 203 गीगावाट हो गई है।
वित्तीय सेवाओं के डिजिटलीकरण ने किया सेवाओं का कायाकल्प
बिरला ने सभा को बताया कि नए संसद भवन के निर्माण में हरित प्रौद्योगिकी का अधिकतम उपयोग सुनिश्चित किया गया है। बिरला ने आम जन के हित में तकनीक के इस्तेमाल की शक्ति का उल्लेख करते हुए बताया कि जन धन, आधार और मोबाइल के जैम त्रिकोण के माध्यम से वित्तीय सेवाओं के डिजिटलीकरण ने सेवाओं का कायाकल्प कर दिया है।