नई दिल्ली(ए)। महात्मा गांधी को कौन नहीं जानता। देश का बच्चा-बच्चा गांधी जी का नाम जानता है। उन्हें उनकी तस्वीर से पहचानता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि गांधी जी को जानना जरूरी क्यों है? स्कूलों में छोटी क्लास से ही बच्चों को महात्मा गांधी के बारे में क्यों बताया जाता है? महात्मा गांधी का पूरा जीवन हम लोगों के लिए प्रेरणा है। एक लड़का जिसकी 13 साल की उम्र में शादी हुई और फिर उस लड़के ने लंदन के हाई कोर्ट में प्रैक्टिस की और फिर कैसे बना भारत का राष्ट्र पिता, गांधी जी का पूरा जीवन ही रोचक रहा। इन रोचक बातों में से बस 10 प्वाइंट्स में हम जानेंगे उनका पूरा जीवन परिचय और समझेंगे कि गुजरात का एक आम लड़का कैसे बना पूरे विश्व का बापू।
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बापू से जुड़ी 10 बड़ी बातें, पढ़ें महात्मा गांधी जी का जीवन परिचय
गांधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर शहर में हुआ था। गांधी जी के पिता का नाम करमचंद गांधी और मां का नाम पुतलीबाई गांधी था। उनके पिता गुजरात की एक छोटी रियासत की राजधानी पोरबंदर के दीवान थे।
13 साल की उम्र में महात्मा गांधी की शादी कस्तूरबा से हुई थी। उनके चार बेटे थे जिनके नाम हरिलाल, मणिलाल, रामदास और देवदास। आपको बता दें कि अपने शुरुआती दिनों में, वह श्रवण और हरिश्चंद्र की कहानियों से बहुत प्रभावित थे क्योंकि वे सत्य के महत्व को दर्शाते थे।
महात्मा गांधी वकालत की पढ़ाई करने के लिए इंग्लैंड गए थे। उन्होंने 1888 में लंदन के इनर टेंपल में दाखिला लिया था और 1891 में वकालत की पढ़ाई पूरी करने के बाद प्रैक्टिस के लिए लंदन के हाई कोर्ट में एनरॉल हुए।
1893 में वे वकील के रूप में काम करने के लिए दक्षिण अफ्रीका गए। वहां उन्हें नस्लीय भेदभाव का प्रत्यक्ष अनुभव हुआ जब उन्हें प्रथम श्रेणी का टिकट होने के बावजूद ट्रेन के प्रथम श्रेणी अपार्टमेंट से बाहर निकाल दिया गया क्योंकि यह केवल गोरे लोगों के लिए आरक्षित था। किसी भी भारतीय या काले को इसमें यात्रा करने की अनुमति नहीं थी। स घटना का उन पर गंभीर प्रभाव पड़ा और उन्होंने नस्लीय भेदभाव के खिलाफ विरोध करने का फैसला किया।
22 मई 1894 को गांधीजी ने नेटाल इंडियन कांग्रेस की स्थापना की और दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों के अधिकारों में सुधार के लिए कड़ी मेहनत की। थोड़े ही समय में गांधीजी दक्षिण अफ्रीका में भारतीय समुदाय के नेता बन गए।
तिरुक्कुरल जो प्राचीन भारतीय साहित्य, मूल रूप से तमिल में लिखा गया, इस प्राचीन ग्रंथ से गांधीजी भी प्रभावित थे। इसी से वे सत्याग्रह के विचार से प्रभावित थे और 1906 में उन्होंने अहिंसक विरोध प्रदर्शन लागू किया। अपने जीवन के 21 साल दक्षिण अफ़्रीका में बिताने के बाद वे 1915 में भारत लौट आए और नागरिक अधिकारों के लिए संघर्ष शुरू किया और इस समय वे एक नए व्यक्ति में परिवर्तित हो गए।
भारत लौटने के बाद गांधी ने गोपाल कृष्ण गोखले को अपना गुरु बनाकर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गये। गांधीजी की पहली बड़ी उपलब्धि 1918 में थी जब उन्होंने बिहारऔर गुजरात के चंपारण और खेड़ा आंदोलनों का नेतृत्व किया। उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन, स्वराज और भारत छोड़ो आंदोलन का भी नेतृत्व किया।
महात्मा गांधी का सत्याग्रह सच्चे सिद्धांतों और अहिंसा पर आधारित था। उनका कहना था कि “ऐसे जियो जैसे कि तुम्हें कल मरना है। ऐसे सीखो जैसे तुम्हें हमेशा के लिए जीना है।” 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने मोहनदास करमचंद गांधी की हत्या कर दी। इस तरह 78 साल की उम्र में उन्होंने इन दुनिया को अलविदा कह दिया।