नई दिल्ली (ए)। किसी अपराध में आरोपित के घर पर बुलडोजर चलाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर सख्त रुख अख्तियार किया है। शीर्ष अदालत ने कहा कि जहां देश कानून से चलता है, वहां परिवार के किसी सदस्य द्वारा कानून का उल्लंघन करने पर अन्य सदस्यों के विरुद्ध या उनके कानूनी ढंग से बनाए गए घर पर कार्रवाई नहीं हो सकती। ये टिप्पणी जस्टिस हृषिकेश राय, सुधांशु धूलिया और एसवीएन भट्टी की पीठ ने गुजरात के एक मामले में दिए अंतरिम आदेश में गुरुवार की।
गुजरात सरकार को नोटिस जारी
कोर्ट ने परिवार के एक सदस्य के विरुद्ध आपराधिक मामला दर्ज होने पर साझे का पारिवारिक घर ढहाए जाने की आशंका जताने वाली याचिका पर गुजरात सरकार को नोटिस जारी करते हुए संपत्ती पर यथास्थिति बनाए रखने के आदेश दिए हैं। दस दिन में यह दूसरा मौका है जब शीर्ष अदालत ने किसी आरोपित के घर बुलडोजर चलाने को लेकर ऐसी टिप्पणी की है।
आरोपितों के घरों पर बुलडोजर चलाने की शिकायतें
दो सितंबर को भी कोर्ट ने जमीयत उलमा-ए-हिंद की याचिका पर सुनवाई के दौरान ऐसी टिप्पणी की थी। उस याचिका में देश के विभिन्न हिस्सों में आरोपितों के घरों पर बुलडोजर चलाने की शिकायतें की गई हैं। जिस पर जस्टिस बीआर गवई और केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा था कि वह इस संबंध में पूरे देश के लिए दिशा-निर्देश तय करेंगे।
घर पर बुलडोजर चलाने का आधार नहीं
कोर्ट ने सभी पक्षों को इस संबंध में सुझाव देने को कहा था। उस मामले में 17 सितंबर को सुनवाई होगी। हालांकि जमीयत की याचिका में पक्षकार उत्तर प्रदेश सरकार ने हलफनामा दाखिल कर स्पष्ट किया था कि किसी अपराध में सिर्फ आरोपित होना घर पर बुलडोजर चलाने का आधार नहीं हो सकता। सिर्फ म्यूनिसिपल कानून के तहत कानूनी प्रक्रिया से अवैध निर्माण के विरुद्ध कार्रवाई की जाती है। तब कोर्ट ने इस बात की सराहना की थी।