नई दिल्ली (ए)। एक सितंबर से शुरू होने जा रहे सदस्यता अभियान में इस बार भाजपा सदस्यों के सत्यापन पर भी जोर देगी। 2019 के सदस्यता अभियान के अनुभवों को देखते हुए पार्टी ने यह फैसला किया है। उस समय बहुत सारे सदस्यों की दोहरी सदस्यता की शिकायत मिली थी। तब सत्यापन के बाद असली सदस्यों की संख्या में लगभग चार पाँच करोड़ का फर्क आया था। इसके साथ ही भाजपा नए सदस्य बनाने में इस बार पार्टी की विचारधारा भी जोर दे रही है।
भाजपा के सदस्यता अभियान का उद्देश्य क्या?
शनिवार को पार्टी पदाधिकारियों की बैठक में गृहमंत्री अमित शाह ने साफ कर दिया था कि भाजपा के सदस्यता अभियान का उद्देश्य सिर्फ नए सदस्य बनाना नहीं है, बल्कि आम लोगों तक पार्टी की विचारधारा को पहुंचाना है।ध्यान देने की बात है कि 2014 में अमित शाह के अध्यक्ष रहते हुए भाजपा 11 करोड़ सदस्य बनाने में सफल रही थी। इसके बाद जेपी नड्डा के अध्यक्ष रहते हुए 2019 में सात करोड़ नए सदस्य बनाए गए। इस तरह भाजपा को 18 करोड़ सदस्यों वाली पार्टी हो गई।
मिस्ड कॉल के माध्यम से बनाए गए थे अधिकांश सदस्य
इसमें अधिकांश सदस्य मिस्ड कॉल के माध्यम से बनाए गए थे। जिनका सत्यापन सही तरीके से नहीं किया जा सका था। बाद में वास्तविक संख्या लगभग 13 करोड़ के पास आयी थी। भाजपा ने इस बार चुनाव वाले राज्यों झारखंड, हरियाणा, महाराष्ट्र और जम्मू-कश्मीर को छोड़कर 10 करोड़ से अधिक सदस्य बनाने का लक्ष्य रखा है। इन राज्यों में विधानसभा चुनाव संपन्न होने के बाद सदस्यता अभियान चलाया जाएगा। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि इन चार राज्यों में पार्टी को दो से तीन करोड़ सदस्य बनने का लक्ष्य रखा है।
भाजपा इस बार 12-13 करोड़ सदस्य बनाने की सोच रही
इस तरह से भाजपा इस बार 12-13 करोड़ सदस्य बनाने की सोच रही है, जो लगभग पिछली संख्या के बराबर होगा।ध्यान रहे की यह नौ वर्षों के बाद का सदस्यता अभियान है जिसने सभी सदस्यों को फिर से सदस्यता लेनी होती है। जिनकी सदस्यता का नवीनीकरण नहीं होगा वह सदस्य नहीं रहेंगे। यानी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर नीचे तक सभी खुद की सदस्यता के लिए आवेदन देंगे।