नई दिल्ली(ए)। 78 वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने देश को संबोधित किया। इसमें उन्होंने केंद्र सरकार द्वारा किए जा रहे विकास कार्य गिनाए। साथ युवाओं, महिलाओं, दलितों, आदिवासियों और वंचितों की समस्याओं को कई बार दोहराया। इस दौरान पीएम मोदी ने पुरानी सरकार के दौरान लोगों द्वारा उठाई समस्याओं का जिक्र किया। पीएम ने प्राकृतिक आपदाओं को लेकर चिंता जाहिर की। साथ ही बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रही हिंसा और यूसीसी (Uniform Civil Code) पर भी बात रखी।
आज वो शुभ घड़ी है, जब हम देश के लिए मर मिटने वाले, देश की आजादी के लिए अपना जीवन समर्पित करने वाले, आजीवन संघर्ष करने वाले, फांसी की तख्त पर चढ़कर भारत माता की जय का नारा लगाने वाले अनगिनत वीरों को हम नमन कर रहे हैं।
आजादी के दीवानों ने हमें स्वतंत्रता की सांस लेने का सौभाग्य दिया है। ये देश उनका ऋणी है। ऐसे हर महापुरुष के प्रति हम अपना श्रद्धाभाव व्यक्त करते हैं।
सैकड़ों साल की गुलामी और उसका हर कालखंड संघर्ष का रहा। युवा हो, किसान हो, महिला हो या आदिवासी हों, वो गुलामी के खिलाफ जंग लड़ते रहे। इतिहास गवाह है, 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के पूर्व भी हमारे देश के कई आदिवासी क्षेत्र थे, जहां आजादी की जंग लड़ी जा रही थी।
प्राकृतिक आपदा पर
इस वर्ष और पिछले कुछ वर्षों से प्राकृतिक आपदा के कारण हमारी चिंता बढ़ रही है। प्राकृतिक आपदा में अनेक लोगों ने अपने परिवारजन खोए हैं, संपत्ति खोई है। मैं आज उन सब के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करता हूं और विश्वास दिलाता हूं, देश इस संकट की घड़ी में उन सबके साथ खड़ा है।
विकसित भारत पर
विकसित भारत 1947, ये सिर्फ भाषण के शब्द नहीं है, इसके लिए कठिन परिश्रम चल रहा है। इसके लिए हमने देशवासियों से सुझाव मांगे। हर देशवासी का सपना इसमें झलकता है।
मैं समझता हूं, जब देशवासियों की इतनी विशाल सोच हो, उनके इतने बड़े सपने हों, देशवासियों की बातों में जब संकल्प झलकते हों, तब हमारे भीतर एक नया दृढ़ संकल्प बन जाता है, हमारे मन में आत्मविश्वास नई ऊंचाई पर पहुंच जाता है।
जल जीवन मिशन के तहत इतने कम समय में 12 करोड़ परिवारों को नल से जल मिला है। आज 15 करोड़ परिवार इसके लाभार्थी बन चुके हैं। समाज की अग्रिम पंक्ति के लोग इसके अभाव में नहीं जीते थे। दलित, पीड़ित शोषित और आदिवासी इसके अभाव में जी रहे थे।
हमने वोकल फोर लोकल का मंत्र दिया। हर जिला अपनी पैदावार के लिए गर्व करने लगे हैं और प्रोडक्ट का एक्सपोर्ट कैसे हो इसके बारे में सोचने लगे हैं। रिन्यूएबल एनर्जी के मामले में जी 20 समूह के देशों ने जीतना किया है, उससे ज्यादा भारत ने किया है। भारत ने ऊर्जा के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए, ग्लोबल वार्मिंग से मुक्ति पाने के लिए , काम किया है।
देश ने देखा है कि आजादी के बाद भी दशकों तक स्टेटस-को का माहौल बना रहा। हमने इसी मानसिकता को तोड़ा है। हमने बड़े रिफॉर्म्स जमीन पर उतारे। लोगों के जीवन में बदलाव लाने के लिए हमने रिफॉर्म्स का मार्ग चुना।
हमारे बैंकिंग सेक्टर संकट से गुजर रहे थे। हमने बैंकिंग सेक्टर को मजबूत बनाने के लिए कार्य किया। दुनिया की मजबूत बैंकों में भारत की बैंकों ने अपना स्थान बनाया है और जब बैंक मजबूत होती है, तब फाॅर्मल इकोनॉमी मजबूत होती है।
देश को आजादी तो मिली, लेकिन लोगों को एक तरह से माई बाप कल्चर से गुजरना पड़ा। सरकार के पास हाथ फैलाते रहो। वही कल्चर डेवलप हुआ। हमने गवर्नेंस के इस कल्चर को बदला है। आज सरकार खुद लाभार्थी और हितार्थी के घर जाती है। आज सरकार खुद उसके घर बिजली-पानी पहुंचाती है। बड़ रिफॉर्म हमारी सरकार प्रतिबद्ध है।
हम सदियों की बेड़ियों को तोड़कर निकले हैं। आज पर्यटन क्षेत्र हो, MSMEs सेक्टर हो, शिक्षा हो, ट्रांसपोर्ट सेक्टर हो, खेल सेक्टर हो या खेती-किसानी का सेक्टर हो, हर क्षेत्र में एक नया आधुनिक सिस्टम बन रहा है।
10 साल में 10 करोड़ बहनें महिला स्व सहायता समूहों से जुड़ी है। हमें गर्व है, महिलाएं आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन रही है। मुझे इस बात पर भी गर्व है। हमारे सीईओ दुनियाभर में अपनी धाक जमा रहे हैं।
हमारे लिए खुशी की बात है, एक तरफ सीईओ दुनियाभर में नाम कमा रहे हैं, दूसरी तरफ स्व सहायता समूह है देश की सामान्य परिवार की एक करोड़ बहनें लखपति दीदी बनती है। अब तक 9 लाख करोड़ बैंकों के माध्सम से महिला स्व सहायता समूहों को मिले हैं।
लोगों के जीवन में सरकार की दखल कम हो, इसके लिए हमने 1500 कानूनों को खत्म कर दिया। हमनें छोटे-छोटे कानूनों कारण जेल जाने की परंपरा थी, उन कानूनों को खत्म कर दिया। हर लेवल पर मै सरकार के प्रतिनिधियों और जनप्रतिनिधियों से आग्रह करता हैं, इज ऑफ लिविंग के लिए कदम उठाने चाहिए।
आज देश में करीब 3 लाख संस्थाएं काम कर रही हैं। चाहे वो पंचायत हो, नगर पंचायत हो, नगर पालिका हो, महानगर पालिका हो, UT हो, राज्य हो, जिला हो। मैं अपनी इन 3 लाख इकाइयों से आह्वान करता हूं कि आप साल में अपने स्तर पर सामान्य मानवी के लिए 2 रिफॉर्म करें और उसको जमीन पर उतारें।
आज मेडिकल एजुकेशन के लिए बच्चे बाहर जा रहे हैं। उनके लाखों करोड़ों रुपये खर्च हो जाते हैं। महने पिछले 10 साल में मेडिकल सीटों को करीब एक लाख कर दिया है। हमने तय किया है, अगले पांच साल में मेडिकल लाइन में 75 हजार नई सीटें बनाई जाएगी।