Home देश-दुनिया भारतीय रिजर्व बैंक का कर्ज को लेकर जोखिम प्रबंधन के लिए नियामकीय व्यवस्था का प्रस्ताव

भारतीय रिजर्व बैंक का कर्ज को लेकर जोखिम प्रबंधन के लिए नियामकीय व्यवस्था का प्रस्ताव

by admin

मुंबई (ए)। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने सोमवार को बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों के लिए कर्ज से जुड़े ‘मॉडल’ जोखिम प्रबंधन को लेकर रूपरेखा का प्रस्ताव किया। इस पहल का मकसद क्षेत्र में सूझबूझ और मजबूती सुनिश्चित करना है। आरबीआई के नियमन के दायरे में आने वाली इकाइयां (बैंक, एनबीएफसी आदि) कर्ज प्रबंधन के लिए विभिन्न मॉडल का उपयोग करती हैं। इनमें क्रेडिट मूल्यांकन, कर्ज लेने वालों के ‘क्रेडिट स्कोर’, मूल्य निर्धारण और जोखिम प्रबंधन आदि शामिल हैं।

रिजर्व बैंक ने ‘कर्ज को लेकर मॉडल जोखिम प्रबंधन के लिए नियामक सिद्धांतों’ पर एक मसौदा परिपत्र में कहा कि चूंकि वर्तमान में जो मॉडल हैं, अत: इससे अनिश्चितताओं की आशंकाएं रहती हैं। इससे बैंक और एनबीएफसी (गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां) के लिए मॉडल के स्तर पर जोखिम की स्थिति रहती है। इसका क्रेडिट जोखिम प्रबंधन, अनुपालन और साख से संबंधित पहलुओं पर प्रभाव पड़ता है। आरबीआई ने ऐसे मॉडल के उपयोग में सूझबूझ और मजबूती सुनिश्चित करने के मकसद से कुछ व्यापक नियामकीय सिद्धांतों को निर्धारित करने का प्रस्ताव किया है।

मसौदे में कहा गया है, ‘‘बैंक, एनबीएफसी और आरबीआई के दायरे में आने वाली अन्य इकाइयां मॉडल जोखिम प्रबंधन रूपरेखा के संदर्भ में नीति को मंजूरी देंगी। यह उपयोग वाले सभी मॉडल के लिए होगा…।’’ नीति में स्वतंत्र जांच/चल रही सत्यापन या समीक्षा प्रक्रियाएं भी शामिल होनी चाहिए। साथ ही आंतरिक लेखापरीक्षा कार्य की भूमिका सहित निगरानी और रिपोर्टिंग ढांचा भी होना चाहिए।

‘क्रेडिट’ यानी कर्ज से जुड़े जोखिम ‘मॉडल’ मात्रात्मक पद्धति से जुड़ा है जो कर्ज से संबंधित निर्णयों में उपयोग किया जाता है। इसमें आंकड़ों के प्रसंस्करण के लिए सांख्यिकीय, आर्थिक, वित्तीय या गणितीय सिद्धांतों और मान्यताओं को उपयोग किया जाता है। मसौदे में कहा गया है कि बैंक और एनबीएफसी उपयोग किए जाने वाले मॉडल या तो आंतरिक रूप से विकसित कर सकते हैं या सहयोगपूर्ण कर्ज व्यवस्था के तहत बाहरी तीसरे पक्ष से प्राप्त कर सकते हैं या यह दोनों का मिश्रण हो सकता है।

Share with your Friends

Related Posts