नई दिल्ली(ए)। कश्मीरी सेब का स्वाद इस साल फीका रह सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार, भीषण गर्मी और कीटों के प्रभाव के चलते सेब की गुणवत्ता और उत्पादन पर नकारात्मक असर पड़ा है। कश्मीर देश के कुल सेब उत्पादन का 75% करता है। 2023 में यहां 22 लाख मीट्रिक टन सेब का उत्पादन हुआ था, लेकिन इस साल उत्पादन में कमी देखी जा रही है।
बागवानी विशेषज्ञ फारूक अहमद ने बताया कि गर्मी और बारिश की कमी के साथ-साथ नए कीटों के संक्रमण के कारण सेब बागानों को भारी नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा कि सितंबर तक उत्पादन में और गिरावट की संभावना है और नुकसान 2-3 लाख मीट्रिक टन तक पहुंच सकता है। सोपोर के सेब बागवान बशीर अहमद ने कहा कि गर्मी के कारण सेब छोटे हो गए हैं और उनका रंग व स्वाद भी फीका हो गया है। सेब उद्योग जम्मू और कश्मीर की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जिसमें इसका योगदान राज्य के सकल घरेलू उत्पाद (एसजीडीपी) का लगभग 9.5% है। सेब का कुल कारोबार करीब 11 हजार करोड़ रुपए का है। मौसम के कारण सेब पर कीटों, फंगस और अन्य रोगों का हमला हुआ है, जिससे किसानों को कीटनाशकों का भारी छिड़काव करना पड़ा है। शोपियां के किसान अली मोहम्मद ने बताया कि उन्होंने कभी कीटों और रोगों का ऐसा असर नहीं देखा। दवाओं के छिड़काव के बावजूद कीटों की समस्या बनी हुई है। आयातित सेबों की भरपूर आपूर्ति के कारण घरेलू सेब की कीमतें स्थिर बनी हुई हैं। कुछ किस्मों की कीमतों में 50% तक की गिरावट आई है। फल व्यापारी मोहम्मद अशरफ ने कहा कि फसल की कमी के बावजूद बाजार में आयातित सेबों की भरपूर उपलब्धता ने घरेलू कीमतों को प्रभावित किया है। पिछले साल के हजारों टन सेब अभी भी कोल्ड स्टोर में पड़े हैं।