नई दिल्ली (ए)। दिल्ली में 27 से 28 जुलाई तक बीजेपी की दो दिवसीय मुख्यमंत्री परिषद की बैठक हुई. इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीजेपी शासित 13 मुख्यमंत्रियों और 15 उपमुख्यमंत्रियों को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारें अधिक मजबूती से लोक कल्याण के समन्वित और मजबूत प्रयासों में जुट जाएंगी तो विकसित भारत का लक्ष्य निश्चित तौर से हासिल किया जा सकता है. बीजेपी के वरिष्ठ नेता और सुशासन प्रकोष्ठ के संयोजक विनय सहस्रबुद्धे के मुताबिक, पीएम मोदी ने कहा कि विरासत का विकास करना और विकास की विरासत का निर्माण करना विकसित भारत की संकल्पना में विशेष महत्व रखता है. इन्होंने पार्टी के सभी मुख्यमंत्रियों को निर्देश दिया कि केंद्र की गरीब कल्याण योजनाओं के साथ किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ न करें. इन योजनाओं के तहत न कमी की जाए और न ही किसी को बढ़ाकर दिया जाए. प्रधानमंत्री ने देश को 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के अपनी सरकार के एजेंडे के बारे में विस्तार से चर्चा की और कल्याणकारी उपायों में जनता की भागीदारी के महत्व पर जोर दिया. विनय सहस्रबुद्धे ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने विभिन्न समूहों को लक्षित करते हुए सरकारी योजनाओं की अधिकतम पहुंच सुनिश्चित करने के लिए सोशल मीडिया के उपयोग पर भी जोर दिया.
नई शिक्षा नीति पर भी हुई चर्चा
केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, अमित शाह और जेपी नड्डा सहित वरिष्ठ भाजपा नेताओं ने मुख्यमंत्री परिषद की बैठक में भाग लिया. इसका आयोजन समय-समय पर होता रहता है और इसमें बड़े पैमाने पर शासन के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया जाता है. शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने नई शिक्षा नीति और इसके क्रियान्वयन में राज्यों की भूमिका के बारे में बात की. बैठक के दौरान अलग-अलग राज्यों ने अपनी कुछ प्रमुख व महत्वाकांक्षी योजनाओं के बारे में चर्चा की
मुख्यमंत्रियों समेत भाजपा नेताओं के साथ बातचीत में मोदी ने अक्सर कल्याणकारी योजनाओं की कवरेज सुनिश्चित करने की जरूरत पर जोर दिया है और कहा है कि पार्टी शासित राज्यों को सुशासन के उदाहरण के तौर पर देखा जाना चाहिए. हमारी पार्टी सुशासन को आगे बढ़ाने और लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए अथक प्रयास कर रही है.’
इस बैठक में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा, राजस्थान के सीएम भजनलाल शर्मा और ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी शामिल हुए. वहीं मध्यप्रदेश, उत्तराखंड, अरुणाचल प्रदेश, गोवा, हरियाणा, मणिपुर और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्रियों ने भी विचार-विमर्श में हिस्सा लिया