Home देश-दुनिया मप्र के देवास जिले के खिवनी अभयारण्य में गूंज रही बाघों की दहाड़, रास आ रहा वातावरण

मप्र के देवास जिले के खिवनी अभयारण्य में गूंज रही बाघों की दहाड़, रास आ रहा वातावरण

by admin

देवास(ए) । जिले का खिवनी अभयारण्य वन्य जीवों को रास आ रहा है। प्राकृतिक परिवेश में वन्य जीव स्वछंदता से विचरण करते हैं। यहां बाघों का कुनबा लगातार बढ़ रहा है। जिले के कुसमानिया (कन्नौद) क्षेत्र में खिवनी अभयारण्य स्थित है। यह करीब 134.77 वर्ग किमी में फैला है। बाघों को यहां का वातावरण बहुत लुभाता है।

करीब दस साल पहले यहां एक-दो बाघ थे, लेकिन अब संख्या बढ़ गई है। एक नर व मादा के अलावा चार शावक हैं। दो से तीन बाघ पहाड़ी पर विचरण करते कैमरे में ट्रेप हुए हैं। यहां शाकाहारी और मांसाहारी दोनों ही तरह के वन्य जीव हैं। बाघ के अलावा तेंदुआ, लकड़बग्घा, भालू, लोमड़ी, सियार, चीतल, सांभर, चिंकारा, काला हिरण आदि जीव हैं तो पक्षियों व पेड़-पौधों की सैकड़ों प्रजातियां हैं।

होगा विस्तार, बढ़ेगा पर्यटन
अभयारण्य के अधीक्षक विकास माहोरे ने बताया कि खिवनी के साथ ही सीहोर की सीमा तक करीब आठ से नौ बाघ हैं। यहां इस तरह का वातावरण तैयार किया है जिससे वन्य जीव सुरक्षित रहें। आसपास गांव बसे हैं, लेकिन उनकी इस क्षेत्र में आवाजाही नहीं होती। बाघ के लिए यह स्थान इसलिए भी बेहतर है क्योंकि उनको यहां प्राकृतिक वातावरण के साथ ही शिकार के लिए भी जीव मिल जाते हैं।
पर्यटन को भी बढ़ावा
अभयारण्य का क्षेत्रफल करीब 50 वर्ग किमी बढ़ाने की योजना है। यहां पर्यटन को भी बढ़ावा दे रहे हैं। आसपास के क्षेत्र में रिसोर्ट बन रहे हैं। आगामी दिनों में इसके विस्तार पर काम करेंगे। 2014 में पहली बार टाइगर की गणना की गई थी, तब एक से दो बाघ ही थे।
लोगों को भी कर रहे जागरूक
धीरे-धीरे यहां काफी काम किया जिस कारण अब संख्या बढ़ रही है। विश्व बाघ दिवस के मौके पर स्कूलों के साथ ही आमजन को जागरूक कर रहे हैं कि टाइगर रिजर्व होने से पूरी प्रकृति का संतुलन बना रहता है। बाघों के माध्यम से ईको सिस्टम का पूरा सर्कल चलता है।
वनविहीन शाजापुर में मिलती है बाघ की मौजूदगी
  • शाजापुर जिला वनविहीन होने के बाद भी बाघ सहित अन्य वन्य जीवों को भा रहा है।
  • वर्ष 2016 में वन विभाग की टीम ने रेस्क्यू कर एक बाघ भी पकड़ा था।
  • दरअसल, भोपाल और देवास जिले के रातापानी और खिवनी सेंचुरी क्षेत्र हैं।
  • इन दोनों स्थानों से लगे शाजापुर जिले के कालीसिंध नदी वाले क्षेत्र में बाघ सहित अन्य वन्य प्राणी कुछ समय के लिए ठिकाना बना लेते हैं।
  • इसके चलते 10 साल में एक बाघ, चार तेंदुए सहित बड़ी संख्या में वन्यजीवों का रेस्क्यू किया गया।
  • वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट हरीश पटेल बताते हैं कि वन्य जीवों का क्षेत्र में होने का मतलब यह है कि वे अपने मूल स्वरूप में आ रहे हैं।
खिवनी अभयारण्‍य में खिवनी के साथ ही सीहोर की सीमा तक करीब आठ से नौ बाघ हैं। अभयारण्य का क्षेत्रफल करीब 50 वर्ग किमी बढ़ाने की योजना है।
विकास माहोरे, अधीक्षक खिवनी अभयारण्य
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