नई दिल्ली(ए)। आर्थिक सर्वेक्षण एक वार्षिक दस्तावेज़ है जिसे सरकार द्वारा केंद्रीय बजट से पहले अर्थव्यवस्था की स्थिति की समीक्षा के लिए प्रस्तुत किया जाता है। वित्त मंत्रालय में आर्थिक मामलों के विभाग के आर्थिक संभाग द्वारा आर्थिक समीक्षा तैयार की जाती है।
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को आर्थिक सर्वेक्षण की सराहना की और कहा कि इसमें भारतीय अर्थव्यवस्था की ‘मौजूदा ताकत’ पर प्रकाश डाला गया है। यह टिप्पणी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा लोकसभा में बजट पेश करने से एक दिन से भी कम समय पहले आई है। उन्होंने एक एक्स पोस्ट में लिखा कि आर्थिक सर्वेक्षण हमारी अर्थव्यवस्था की मौजूदा ताकतों पर प्रकाश डालता है और हमारी सरकार द्वारा लाए गए विभिन्न सुधारों के परिणामों को भी दर्शाता है। जैसे-जैसे हम विकसित भारत के निर्माण की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं, यह आगे के विकास और प्रगति के क्षेत्रों की भी पहचान करता है।
आर्थिक सर्वेक्षण एक वार्षिक दस्तावेज़ है जिसे सरकार द्वारा केंद्रीय बजट से पहले अर्थव्यवस्था की स्थिति की समीक्षा के लिए प्रस्तुत किया जाता है। वित्त मंत्रालय में आर्थिक मामलों के विभाग के आर्थिक संभाग द्वारा आर्थिक समीक्षा तैयार की जाती है। इसे मुख्य आर्थिक सलाहकार की देखरेख में तैयार किया जाता है। देश में पहली बार आर्थिक समीक्षा 1950-1951 में पेश की गई थी जब यह बजट दस्तावेजों का ही हिस्सा होती थी।
आर्थिक समीक्षा 2023-24 में कहा गया है कि तेज क्षमता वृद्धि, रोलिंग स्टॉक का आधुनिकीकरण और ऊर्जा दक्षता रेलवे के लिए प्राथमिकता वाले क्षेत्र हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा संसद में सोमवार को पेश आर्थिक समीक्षा में कहा गया है‘‘तेज क्षमता और ऊर्जा दक्षता को ध्यान में रखते हुए समर्पित माल गलियारों, हाई-स्पीड रेल, वंदे भारत, अमृत भारत एक्सप्रेस, आस्था स्पेशल ट्रेनों जैसी आधुनिक यात्री सेवाओं, उच्च क्षमता वाले रोलिंग स्टॉक और अंतिम छोर तक रेल संपर्क जैसे क्षेत्रों में निवेश को प्राथमिकता दी गई है।’’
इसमें कहा गया है कि रेलवे तीन प्रमुख गलियारों – उच्च यातायात घनत्व वाले गलियारे, ऊर्जा, खनिज और सीमेंट गलियारे, और रेल सागर (बंदरगाह संपर्क) गलियारे – के लिए परियोजनाओं की योजना बना रहा है ताकि रसद लागत और कार्बन फुटप्रिंट को कम किया जा सके। समीक्षा में कहा गया है कि रेलवे ने अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं को मुख्य रूप से अक्षय ऊर्जा स्रोतों से पूरा करके अपने कार्बन फुटप्रिंट को कम करने की योजना बनाई है। आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि ‘‘2029-30 तक अक्षय ऊर्जा क्षमता की स्थापना की अपेक्षित आवश्यकता लगभग 30 गीगा वाट है।