नईदिल्ली (ए)। ऑल इंडिया पावर इंजीनियर फेडरेशन (एआईपीईएफ) ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को एक पत्र भेजकर देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में बिजली निगमों में कार्य कर रहे सभी बिजलीकर्मियों के लिए एक समान पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू करने की मांग की है। एआईपीईएफ ने बयान में कहा कि पत्र की प्रतिलिपि सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को भी दी गई है। एआईपीईएफ के चेयरमैन शैलेन्द्र दुबे ने कहा, ‘‘एनपीएस (नई पेंशन प्रणाली) के तहत कर्मचारी के वेतन से 10 प्रतिशत राशि काटी जाती है और 14 प्रतिशत राशि सरकार या नियोक्ता द्वारा दी जाती है।”
उन्होंने कहा, ‘‘यह राशि एलआईसी और कुछ अन्य संस्थाओं के माध्यम से बाजार में निवेश की जाती है। कर्मचारी की सेवानिवृति के समय बाजार में जो भी होगा, वह राशि वापस कर दी जाएगी और बाजार मूल्य के हिसाब से पेंशन दी जाएगी। यह राशि बहुत कम है।” उन्होंने कहा कि दूसरी ओर, पुरानी पेंशन योजना में पेंशन, अंतिम वेतन का 50 प्रतिशत है और जब भी वेतन संशोधन होता है, तो पेंशन भी संशोधित होती है। इसके अलावा पेंशनभोगी की मृत्यु होने पर उसकी पत्नी को पारिवारिक पेंशन मिलती है। पुरानी पेंशन योजना में पेंशन देना सरकार की जिम्मेदारी है।
उन्होंने कहा कि कर्मचारियों से कोई अंशदान नहीं काटा जाता। पत्र में एआईपीईएफ ने कहा कि देश के सभी विद्युत निगमों में एकरूपता लाने के लिए यह आवश्यक है कि केंद्र सरकार सभी राज्यों को निर्देश जारी करे कि बिजली निगमों में कार्यरत कर्मचारियों एवं अभियंताओं के लिए एक समान पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू की जाए। पत्र में कहा गया है कि हाल ही में राजस्थान, छत्तीसगढ़ और झारखंड की सरकारों ने ऊर्जा निगमों में काम करने वाले सभी कर्मचारियों और इंजीनियरों के लिए पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू कर दी है।
इस प्रकार विभिन्न राज्यों में ऊर्जा निगमों में इस मामले में कोई एकरूपता नहीं है। तीन राज्यों में पुरानी पेंशन लागू है और अन्य अलग-अलग प्रदेशों में सीपीएफ, ईपीएफ या एनपीएस लागू है। पत्र में कहा गया है कि यह जानकारी मिली है कि केंद्र सरकार एनपीएस के अंतर्गत कार्य कर रहे केंद्रीय कर्मचारियों के लिए पेंशन प्रणाली में परिवर्तन करने जा रही है। ऐसे में राज्यों के बिजली निगमों में काम कर रहे कर्मचारियों के बीच में एक प्रणाली लागू न होने से बड़ी विसंगतियां पैदा हो जाएंगी।