रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की सरकार एग्रीस्टेक योजना पर कार्य कर रही है। छत्तीसगढ़ में अब फसल आच्छादन का डिजिटल सर्वे होगा। प्रथम चरण में खरीफ 2024 के लिए महासमुंद, धमतरी और कवर्धा जिलों का चयन किया गया है। इन जिलों में भूमि रिफेरेसिंग का कार्य किया जा रहा है। सर्वे में किसानों की फसलों की सभी जानकारियां भारत सरकार के एग्रीस्टेक पोर्टल में दर्ज होंगी। किसानों को फसल उत्पादकता के लिए जरूरी इनपुट जैसे फसल ऋण, विशेषज्ञो की सलाह से लेकर बाजार उपलब्ध कराने में मदद मिलेगी।
एग्रीस्टेक पोर्टल का उद्देश्य कृषि उत्पादकों (किसानों) और नीति निर्माताओं-केंद्र सरकार और राज्य सरकार को एक डिजिटल छतरी के नीचे लाना है। एग्रीस्टेक पोर्टल के जरिए किसानों को केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं से लाभान्वित किया जाएगा। इसके साथ ही किसानों को आवश्यकतानुसार बैंक ऋण लेने की भी सुविधा मिलेगी। इस पोर्टल के माध्यम से किसानों को फसल के अनुसार खाद और पानी की मात्रा की भी जानकारी मिलेगी। किसानों को फसल और उत्पादन के लिए आवश्यक बाज़ार उपलब्ध कराने में मदद मिलेगी।
एग्रीस्टेक योजना में किसानों को भूमि फसल, मृदा स्वास्थ्य, मौसम की स्थिति के आधार पर नियमित रूप से सामयिक सलाह फसल की बोआई और उत्पादन के लिए विश्वसनीय डाटा के अलावा सूखा, बाढ़, खराब उत्पादन जैसे जोखिम से निपटने की तैयारी के बारे में जानकारी मिलेगी। एग्रीस्टेक पोर्टल में किसानों का पंजीयन होने के बाद उन्हें एक फार्म तथा फार्मर आईडी दी जाएगी तथा जियो रेफरेन्सड मैप को किसान आईडी से लिंक किया जाएगा। किसानों द्वारा भूमि में लगाई गई फसल का डिजिटल सर्वेक्षण किया जाएगा।
डिजिटल फसल सर्वे खरीफ 2024 में धमतरी, महासमुंद, कवर्धा जिले में किया जाएगा। इन जिलों में डिजिटल फसल सर्वेक्षण के लिए जियो रिफेरेसिंग का कार्य अंतिम चरण में है। महासमुंद जिले के 1150 गांवों में से 973, धमतरी जिले में 613 ग्राम में से 304, कवर्धा जिले में 1012 ग्रामों में से 809 ग्रामों में जियो रिफ्रेंसिंग का कार्य पूर्ण कर लिया गया है। इन जिलों में 2 करोड़ 2 लाख 90 हजार से अधिक फार्म आईडी बनाए गए हैं। राज्य स्तर पर एग्रीस्टेक योजना के संचालन के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में संचालन समिति और क्रियान्वयन के लिए संचालक कृषि की अध्यक्षता में क्रियान्वयन समिति गठित की गई है।
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