वाराणसी(ए)। भाजपा के लिए इस बार लोकसभा चुनाव में वाराणसी संसदीय सीट के मायने अलग थे। यहां से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तीसरी बार चुनाव मैदान में थे। भाजपा के सामने चुनौती जीत हासिल करने की नहीं, जीत का अंतर बढ़ाने की थी, लेकिन परिणाम स्तब्ध करने वाले आए।
पीएम मोदी की जीत का अंतर तो बहुत दूर वह 2014 में पाए वोटों के बराबर भी नहीं पहुंच सके। 2014 की मोदी लहर में तो अजय राय को मात्र 75,614 मत मिले थे। उस चुनाव में मोदी को 5,81,022 वोट मिले थे और उन्होंने आप प्रत्याशी अरविंद केजरीवाल को 3,78,784 मतों से हराया था।
इतना ही नहीं, मोदी इस बार 2019 में मिले वोट से 61,694 वोट कम पा सके। पीएम मोदी 2019 के लोकसभा चुनाव में 6,74,664 मत पाकर बसपा के साथ गठबंधन में लड़ रहीं सपा प्रत्याशी शालिनी यादव को 4,79,505 मतों के भारी अंतर से हराया था। कांग्रेस प्रत्याशी अजय राय को 1,52,548 वोट मिले थे।
इस बार भाजपा शुरू से ही वोटों का अंतर बढ़ाने का लक्ष्य लेकर चल रही थी। बड़े नेता यहां आते तो पार्टी पदाधिकारियों, कार्यकर्ताओं को यही लक्ष्य देकर जाते थे। गृह मंत्री अमित शाह ने तो आंतरिक बैठकों में कार्यकर्ताओं के सामने वाराणसी लोकसभा सीट की सभी पांचों विधानसभा सीटों में मोदी के पक्ष में दो-दो लाख वोट डलवाने का लक्ष्य दिया था।
इसी आधार पर कई नेताओं ने होर्डिंग लगाकर अबकी बार 10 लाख पार का नारा भी दिया था। पन्ना प्रमुखों को जिम्मेदारी दी गई थी। इस सबके बावजूद मोदी को 6,12,970 वोट मिले। उन्हें कांग्रेस प्रत्याशी प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने कड़ी टक्कर दी। परिणामस्वरूप मोदी मात्र 1,52,513 मतों से विजयी हो सके।
मतगणना शुरू होते ही पहले राउंड में अजय राय ने 22,805 वोट बटोर कर पीएम मोदी से 5,279 मतों की बढ़त बना ली। प्रधानमंत्री को पहले राउंड में मात्र 14,822 मत मिले।
पूरे देश की मीडिया में मोदी के पीछे होने की खबर ट्रेंड करने लगी।
मोदी ने दूसरे राउंड में अजय राय को 4767 मतों से पीछे कर दिया। इसके बावजूद अजय राय अंत तक लड़ते रहे। उन्हें 4,60,457 मत मिले जबकि इससे पहले के चुनावों में वह जमानत बचाने के लिए संघर्ष करते रहते थे।