नई दिल्ली(ए)। यूट्यूब ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन पर बने वीडियो के लिए नए नियम बनाए हैं. अब ईवीएम वाले वीडियो पर चुनाव आयोग का डिस्क्लेमर दिखाई देगा. इस बीच यूट्यूब नियम तोड़ने वाले क्रिएटर्स के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है. ईवीएम पर संदेह पैदा करने वाले वीडियो पर अब चुनाव आयोग का डिस्क्लेमर दिखाई देगा. इस सप्ताह की शुरुआत से यूट्यूब ने कंटेक्स्ट इंफोर्मेशन पैनल जोड़ा है जो चुनाव आयोग के डिस्केमर के रूप में काम करता है. ऐसे वीडियो को मोनेटाइज नहीं किया जा रहा है. इसपर रोक लगाया जा रहा है. जिसका अर्थ है कि वीडियो के विज्ञापन का राजस्व हिस्सा चैनल को नहीं मिलेगा.
यूट्यूब ने दो क्रिएटर्स मेहगनाद और सोहित मिश्रा को ईवीएम और वोटर वेरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल से संबंधित उनके कुछ वीडियो के लिए नोटिस दी थी. प्लेटफ़ॉर्म ने इस निर्णय के पीछे दिशानिर्देशों का हवाला देते हुए कहा कि स्पष्ट रूप से गलत जानकारी वाले वीडियो विज्ञापन राजस्व के लिए पात्र नहीं हैं. सोहित मिश्रा के यूट्यूब चैनल के 3.68 लाख से अधिक सब्सक्राइबर हैं, और मेहगनाद के चैनल पर 42,000 से अधिक सब्सक्राइबर हैं.
यूट्यूब ने हाल ही में मेहगनद के चार लाइव-स्ट्रीम वीडियो के विज्ञापनों से होने वाली कमाई पर अंकुश लगा दिया. इनमें से प्रत्येक वीडियो, जो दो से तीन घंटे लंबा है. मेहगनद ने ईवीएम पर दर्शकों के सवालों का जवाब देते हुए, 100% वीवीपैट गिनती के बारे में सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई पर अपडेट साझा किया और चुनावी बांड पर चर्चा. उन्होंने कहा कि मैंने समीक्षा के लिए आवेदन किया है और अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है.