मुंबई (ए)। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने सोमवार को आईआईएफएल फाइनेंस लिमिटेड को निर्देश दिया कि वह तत्काल प्रभाव से अपने किसी भी गोल्ड लोन को मंजूरी देना या वितरित करना या किसी भी गोल्ड लोन को असाइन करना/प्रतिभूत करना/बेचना बंद कर दे। आरबीआई ने कहा, “हालांकि, कंपनी सामान्य संग्रह और पुनर्प्राप्ति प्रक्रियाओं के जरिए अपने मौजूदा स्वर्ण ऋण पोर्टफोलियो की सेवा जारी रख सकती है।”
उसने कहा कि आईआईएफएल की वित्तीय स्थिति के उसके निरीक्षण से कंपनी के स्वर्ण ऋण पोर्टफोलियो में सामग्री पर्यवेक्षी चिंताओं का पता चला है, जिसमें ऋण की मंजूरी के समय और डिफॉल्ट पर नीलामी के समय सोने की शुद्धता और शुद्ध वजन की जांच व प्रमाणित करने में गंभीर विचलन शामिल हैं।
निरीक्षण में ऋण-से-मूल्य अनुपात में उल्लंघन भी पाया गया। वैधानिक सीमा से कहीं अधिक नकदी में ऋण राशि का महत्वपूर्ण संवितरण और संग्रहण; मानक नीलामी प्रक्रिया का पालन न करना और आईआईएफएल द्वारा ग्राहक खातों पर लगाए जाने वाले शुल्कों में पारदर्शिता की कमी पाई गई। आरबीआई ने बताया कि ये प्रथाएं, नियमों के उल्लंघन के अलावा, ग्राहकों के हितों पर भी अहम और प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं।
पिछले कुछ महीनों में आरबीआई इन कमियों पर कंपनी के वरिष्ठ प्रबंधन और वैधानिक लेखा परीक्षकों के साथ बातचीत कर रहा है। हालांकि, अब तक कोई सार्थक सुधारात्मक कार्रवाई सामने नहीं आई है। आरबीआई ने कहा, इससे ग्राहकों के समग्र हित में तत्काल प्रभाव से व्यावसायिक प्रतिबंध लगाना जरूरी हो गया है।
केंद्रीय बैंक के बयान में कहा गया है कि यह व्यावसायिक प्रतिबंध किसी भी अन्य नियामक या पर्यवेक्षी कार्रवाई पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना है, जिसे कंपनी के खिलाफ आरबीआई द्वारा शुरू किया जा सकता है।