रायपुर। भारत सरकार शिक्षा मंत्रालय के स्कूल शिक्षा विभाग एवं साक्षरता विभाग तथा राष्ट्रीय साक्षरता केंद्र प्रकोष्ठ एनसीईआरटी नई दिल्ली के तत्वावधान में दो दिवसीय उल्लास मेले का आयोजन 6 और 7 फरवरी को किया गया। इस उल्लास मेले में छत्तीसगढ़ राज्य की ओर से राज्य शैक्षणिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) और राज्य साक्षरता मिशन प्राधिकरण के संचालक श्री राजेंद्र कुमार कटारा, राज्य साक्षरता मिशन के सहायक संचालक एवं नोडल अधिकारी श्री प्रशांत कुमार पांडेय, एससीईआरटी राज्य साक्षरता केंद्र के प्रभारी श्री डेकेश्वर प्रसाद वर्मा ने छत्तीसगढ़ राज्य का प्रतिनिधित्व किया।
राज्य की ओर से नोडल अधिकारी प्रशांत कुमार पांडेय ने साक्षरता कार्यक्रम की सबसे बड़ी चुनौती शिक्षार्थियों को कक्षा में कैसे लाएं, उन्हें कैसे पढ़ाए तथा उनकी निरंतर उपस्थित कैसे बनाए रखें, के सम्बंध में विशेष रणनीति व राज्य में हो रहे बेस्ट प्रैक्टिसेज के बारे में पावर पॉइंट प्रस्तुतिकरण दिया। छत्तीसगढ़ की प्रस्तुतीकरण को अन्य राज्यों ने सराहा।
केंद्रीय शिक्षा और कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान के द्वारा उल्लास मेले का उद्धाटन किया गया। केंद्रीय शिक्षा और कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान ने छत्तीसगढ़ सहित अन्य राज्यों के स्टॉल का अवलोकन किया। इस दो दिवसीय कार्यशाला में स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के सचिव श्री संजय कुमार, कौशल विकास एवं उद्यमिता विभाग के सचिव श्री अतुल कुमार तिवारी, अतिरिक्त सचिव श्री विपिन कुमार, डीओएएसईएल की संयुक्त सचिव सुश्री अर्चना शर्मा अवस्थी, निदेशक राष्ट्रीय साक्षरता मिशन डॉ. प्रीति मीणा, एनसीईआरटी के निदेशक प्रो. दिनेश प्रसाद सकलानी, राष्ट्रीय साक्षरता केंद्र की प्रभारी प्रोफेसर उषा शर्मा सहित अन्य गणमान्य नागरिक मौजूद थे।
केन्द्रीय मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि स्कूली छात्र यदि किसी निरक्षर को साक्षर करते हैं तो फिर उसको क्रेडिट मिलेगी। छात्र कम से कम अपने आसपास के एक व्यक्ति को अवश्य साक्षर करें। सौ फिसदी साक्षरता दर के लिए जनआंदोलन अभियान बनाना होगा। साक्षरता के साथ-साथ ऐसे लोगो को 21वीं के कौशल जैसे ऑनलाइन लेनेदेन, फॉर्म भरना और हस्ताक्षर करने में भी दक्ष करवाया जा रहा है। उन्होंने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि सौ फिसदी साक्षरता विकसित भारत का सबसे महत्वपूर्ण स्तंभ है, इसलिए सभी को साक्षर करना जरूरी है। शिक्षा प्राप्त करने के बारे में उन्हें मौलिक साक्षरता और संख्यात्मकता के साथ-साथ सामान्य जरूरतों से संबधित विषयों में कुशल बनाया जाए ताकि जीवन में आगे बढ़ सकेें। छात्र इस अभियान से जुड़कर नए क्रेडिट आर्किटेक्चर के तहत दूसरों को साक्षर बनाने में मदद करके क्रेडिट अंक अर्जित कर सकते है। इसलिए शिक्षण और सीखने की पद्धति को सरल और मनोरंजक बनाना होगा। पूर्ण साक्षरता का लक्ष्य खेल, दैनिक कार्य से जुड़ी चीजों पर आधारित ज्ञान वितरण प्रणाली के जरिये ही हासिल किया जा सकता है।
केन्द्रीय मंत्री श्री प्रधान ने इस मौके पर कहा कि आजादी के 76 वर्षाे में साक्षरता 20 प्रतिशत से बढ़कर लगभग 80 प्रतिशत हो गई है। उन्होंने आगे कहा कि उल्लास उन लोगो के जीवन में रंग फैला रहा है, जो शिक्षा का लाभ उठा सकते है। उन्होंने कहा शिक्षार्थियों की पसंद और आवश्यकता के आधार पर शिक्षण पद्धति को डिजाइन करने के लिए ईमानदार प्रयास किए जाने चाहिए। पूर्ण साक्षरता का लक्ष्य, खेल, लोक भाषा और दैनिक कार्य से जुड़ी चीजो पर आधारित ज्ञान वितरण प्रणाली के जरिये ही हासिल किया जा सकता है। केन्द्रीय मंत्री श्री प्रधान ने उन राज्यों के प्रयासों की सराहना की जिन्होंने एक ऐसा मॉडल अपनाया है जो सीखने को सरल और मनोरंजक बनाने के लिए खेल आधारित है। उन्होंने संसाधन सामग्री जैसे हैंडबुक, डिजिटल कैप्सूल आदि विकसित करने और इसे कौशल से जोड़ने के लिए विशेषज्ञों की सात दिवसीय कार्यशाला आयोजित करने का भी सुझाव दिया।
उल्लास मेले कार्यक्रम में केंद्रीय राज्यमंत्री श्रीमती अन्नपूर्णा देवी ने नवसाक्षरों एवं स्वयंसेवकों को उनके प्रयासों के लिए बधाई दी और एनईपी-2020 की कल्पना करने और वयस्क साक्षरता कार्यक्रमों के लिए बजट प्रावधान करने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी का आभार व्यक्त किया। उन्होंने सभी से साक्षरता मिशन में भाग लेने और प्रधानमंत्री के विकसित भारत के संकल्प को पूरा करने के लिए आगे आने की अपील की।
इस दौरान उपस्थित सभी गणमान्य लोगो ने सीएनसीएल, एनसीईआरटी और सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा विकसित संसाधन सामाग्रियों को प्रदर्शित करने वाले प्रदर्शनी स्टालों का अवलोकन किया।
नवभारत साक्षरता कार्यक्रम ’उल्लास मेला’ : छत्तीसगढ़ की प्रस्तुतीकरण को अन्य राज्यों ने सराहा
59