Home देश-दुनिया ‘दो साल बाद भी पुलिस को छात्रा का नहीं मिला शव’, कोर्ट ने आरोपी को जमानत देने से किया इनकार

‘दो साल बाद भी पुलिस को छात्रा का नहीं मिला शव’, कोर्ट ने आरोपी को जमानत देने से किया इनकार

by admin

मुंबई (ए)। मुंबई की एक अदालत ने एक छात्रा की 2021 में हुई हत्या के एक आरोपी को यह कहते हुए जमानत देने से इनकार कर दिया कि मृतका का शव बरामद करने के लिए पुलिस की जांच अब भी जारी है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश प्रिया बांकर ने तीन अक्टूबर को आरोपी अब्दुल अंसारी को जमानत देने से इनकार कर दिया, जिसे हत्या एवं साक्ष्य नष्ट करने को लेकर भारतीय दंड संहिता के संबद्ध प्रावधानों के तहत गिरफ्तार किया गया था।

ह जब घर नहीं लौटी…
पुलिस ने छात्रा की मौत के सिलसिले में अंसारी को मुख्य आरोपी मिट्ठू सिंह के साथ गिरफ्तार किया था। पुलिस के मुताबिक, छात्रा 29 नवंबर 2021 को एक परीक्षा में शामिल होने के लिए ट्रेन से यात्रा कर रही थी, लेकिन वह बांद्रा रेलवे स्टेशन पर उतर गई। उन्होंने बताया कि वह परीक्षा में शामिल नहीं हुई और उसे आखिरी बार बांद्रा बैंडस्टैंड इलाके में देखा गया था। वह जब घर नहीं लौटी और उसके मोबाइल फोन पर उससे संपर्क नहीं हो सका, तब उसके माता-पिता ने संबद्ध पुलिस थाने में उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई।

पुलिस को जांच में पता चला कि छात्रा को अंतिम बार बांद्रा बैंडस्टैंड पर देखा गया था, जहां उसने मिट्ठू सिंह से मुलाकात की थी और उसके साथ एक ‘सेल्फी’ ली थी। जांच में यह भी खुलासा हुआ कि मिट्ठू सिंह और अंसारी के बीच टेलीफोन पर बातचीत हुई थी, जिस दौरान अंसारी ने कुछ आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल किया था और मिट्ठू सिंह से छात्रा के साथ मजे करने को कहा था। पुलिस का आरोप है कि अंसारी जानता था कि मिट्ठू सिंह छात्रा को इलाके में क्यों ले गया था, और जांच में खुलासा हुआ कि उसे सिंह द्वारा की गई हत्या और शव को ठिकाने लगाने के बारे में पता था।

पीड़ित पक्ष ने किया जमानत का विरोध
अतिरिक्त सरकारी वकील अश्विनी रायकर ने अंसारी की जमानत का विरोध करते हुए दलील दी कि मामले के गवाह उसके सहकर्मी हैं और उन्हें जानते हैं। उन्होंने कहा, इसलिए, ऐसी संभावना है कि अगर अंसारी को जमानत पर रिहा किया गया, तो वह अभियोजन पक्ष के गवाहों पर दबाव डालेगा और धमकी देगा। हालांकि अंसारी ने कहा कि आरोप, अपराध में सिंह की संलिप्तता का संकेत देते हैं। वहीं, अंसारी के वकील हर्षमान चव्हाण ने दलील दी कि यह साबित करने के लिए कुछ नहीं है कि उनके मुवक्किल ने शव को ठिकाने लगाने में मदद की थी।

अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद कहा कि छात्रा का शव बरामद करने के लिए जांच अब तक जारी है और इस तथ्य को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। अदालत ने कहा कि आरोपियों के खिलाफ आरोप गंभीर प्रकृति के हैं और अपराध की विस्तृत जांच के बाद पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया है। अदालत ने जमानत अर्जी खारिज करते हुए कहा, ‘‘अपराध में आरोपियों की संलिप्तता के प्रथम दृष्टया साक्ष्य हैं। साथ ही, अभियोजन की यह आशंका कि आरोपी गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं और साक्ष्य से छेड़छाड़ कर सकते हैं, से इनकार नहीं किया जा सकता।”

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