नई दिल्ली (एं)। माल एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद ने सरकार के मिलेट ( मोटे अनाज) को बढ़ावा देने के तहत 70 प्रतिशत बाजरे के आटे के मिश्रण को खुले बेचने पर शून्य जीएसटी तथा डिब्बाबंद कर बेचने पर पांच प्रतिशत जीएसटी लगाये जाने का निर्णय लिया है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में आज यहां हुयी परिषद की 52वीं बैठक में ये निर्णय लिये गये। बैठक के बाद श्रीमती सीतारमण ने संवाददाताओं से कहा कि गन्ना किसानों के हित में तथा पशु आहार के निर्माण की लागत को कम करने के उद्देश्य से मॉलिसिस पर जीएसटी 28 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया गया है। इस कदम से मिलों के पास तरलता बढ़ेगी और गन्ना किसानों को गन्ना बकाया का तेजी से भुगतान हो सकेगा। इससे पशु आहार के निर्माण की लागत में भी कमी आएगी क्योंकि इसके निर्माण में यह भी एक घटक है।
उन्होंने कहा कि मानव उपभोग के लिए अल्कोहलिक शराब के निर्माण में इस्तेमाल होने वाले एक्स्ट्रा न्यूट्रल अल्कोहल (ईएनए) को जीएसटी से बाहर रखने का निर्णय लिया गया है। मानव उपभोग के लिए अल्कोहलिक शराब के निर्माण में उपयोग हेतु ईएनए को जीएसटी के दायरे से बाहर करने के लिए कानून में उपयुक्त संशोधन की जायेगी। औद्योगिक उपयोग के लिए रेक्टिफाइड स्पिरिट को कवर करने के लिए सीमा शुल्क टैरिफ अधिनियम में 8 अंकों के स्तर पर एक अलग टैरिफ एचएस कोड बनाया गया है। 18 प्रतिशत जीएसटी वाले औद्योगिक उपयोग के लिए ईएनए के लिए एक प्रविष्टि बनाने के लिए जीएसटी दर अधिसूचना में संशोधन किया जाएगा।
वित्त मंत्री ने कहा कि यदि विदेश जाने वाले जहाज तटीय मार्ग पर परिवर्तित होते हैं तो उन्हें जहाज के मूल्य पर 5 प्रतिशत आईजीएसटी का भुगतान करना पड़ता है। जीएसटी परिषद ने विदेशी ध्वज वाले विदेश जाने वाले जहाज को तटीय मार्ग में परिवर्तित होने पर सशर्त आईजीएसटी छूट की सिफारिश की है, जो छह महीने में विदेश जाने वाले जहाज में परिवर्तित हो जाता है।
उन्होंने कहा कि उन्होंन कहा कि यह स्पष्ट करने के लिए कि एचएस 5605 के अंतर्गत आने वाले धातुयुक्त पॉलिएस्टर फिल्म/प्लास्टिक फिल्म से बने नकली ज़री धागे या धागे पर भी 5 प्रतिशत जीएसटी लगेगा। हालाँकि, पॉलिएस्टर फिल्म (धातुकृत)/प्लास्टिक फिल्म पर कोई रिफंड नहीं दिया जाएगा।
बैठक में केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी, वित्त विभाग संभालने वाले गोवा और मेघालय के मुख्यमंत्रियों के अलावा राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के वित्त मंत्री और वित्त मंत्रालय और राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हुए।