Home देश-दुनिया कृष्ण जन्मभूमि के पास रेलवे के विध्वंस अभियान के खिलाफ आज होगी ‘सुप्रीम’ सुनवाई, जानें क्या है पूरा मामला

कृष्ण जन्मभूमि के पास रेलवे के विध्वंस अभियान के खिलाफ आज होगी ‘सुप्रीम’ सुनवाई, जानें क्या है पूरा मामला

by admin

नई दिल्ली (एं)।  मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि के पास अवैध निर्माण व बस्तियां हटाने संबंधी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार यानी आज सुनवाई होगी। याचिका पर जस्टिस अनिरुद्ध बोस, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस एसवीएन भट्टी की पीठ सुनवाई करेगी। सुप्रीम कोर्ट ने गत 16 अगस्त को रेलवे अधिकारियों की तरफ से चलाए ध्वस्तीकरण अभियान पर 10 दिनों के लिए रोक लगा दी थी।  यह है पूरा मामला
बता दें कि ये मामला उत्तर प्रदेश में कृष्ण जन्मभूमि के पास बस्तियों को गिराए जाने से जुड़ा है। लोगों का कहना है कि वे 1800 के दशक से वहां हैं। याचिका में दावा किया गया है कि मथुरा में श्री कृष्ण जन्मभूमि के पास अतिक्रमण हटाने के लिए रेलवे अधिकारियों के विध्वंस अभियान से लगभग 3000 लोगों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा जिनके घर 1800 ई. वहां पर बने हैं।

21 किमी की दूरी को नैरो गेज से ब्रॉड गेज में बदलने की योजना
रेलवे अथॉरिटी का कहना है कि वंदे भारत जैसी ट्रेनों के संचालन को सुविधाजनक बनाने के लिए मथुरा से वृंदावन तक 21 किलोमीटर की दूरी को नैरो गेज से ब्रॉड गेज में बदलने की योजना के तहत यह कार्रवाई की जा रही है।

नौ अगस्त को शुरू हुआ विध्वंस
सुप्रीम कोर्ट में समक्ष पेश याचिका में याचिकाकर्ताओं ने रेलवे अधिकारी मथुरा द्वारा ध्वस्तीकरण की प्रक्रिया पर रोक लगाने की मांग की है। याचिकाकर्ताओं ने सिविल कोर्ट के सीनियर डिवीजन, मथुरा, उत्तर प्रदेश के समक्ष एक सिविल मुकदमा दायर किया। नौ अगस्त को सरकार ने मथुरा में एक विध्वंस अभियान शुरू किया, जिसमें कथित तौर पर श्रीकृष्ण जन्मभूमि के पिछवाड़े में रेलवे ट्रैक के किनारे एक बस्ती में 135 घरों को नष्ट कर दिया गया। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि मथुरा सिविल कोर्ट के समक्ष अपील के लंबित रहने के दौरान विध्वंस की कार्रवाई पूरी तरह से अवैध है और संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है।

बिहार में जातिगत जनगणना मामले में भी होगी सुनवाई
साथ ही बिहार में जातिगत जनगणना मामले में भी आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। गौरतलब है कि पटना हाईकोर्ट ने बिहार में जातीय जनगणना को लेकर उठ रहे सवालों पर सुनवाई की थी। चीफ जस्टिस के विनोद चंद्रन और जस्टिस पार्थ सार्थी की खंडपीठ ने लगातार पांच दिनों तक (3 जुलाई से लेकर 7 जुलाई तक) याचिकाकर्ता और बिहार सरकार की दलीलें सुनीं थी। कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुना। इसके बाद एक अगस्त को पटना हाईकोर्ट ने सीएम नीतीश कुमार के ड्रीम प्रोजेक्ट को हरी झंडी दे दी थी। इसके बाद एक गैर सरकारी संगठन (NGO) “एक सोच एक प्रयास की” इस मामले में सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। अब शीर्ष कोर्ट इसी याचिका पर सुनवाई करेगा।

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