Home छत्तीसगढ़ रीपा से समूह की दीदियों को मिली आत्मनिर्भरता की राह : स्टेशनरी बेचकर महिलाओं ने कमाए 18 हज़ार

रीपा से समूह की दीदियों को मिली आत्मनिर्भरता की राह : स्टेशनरी बेचकर महिलाओं ने कमाए 18 हज़ार

by admin

रीपा से समूह की दीदियों को मिली आत्मनिर्भरता की राह

स्टेशनरी बेचकर महिलाओं ने कमाए 18 हज़ार

स्टेशनरी बेचकर महिलाओं ने कमाए 18 हज़ार
मनेंद्रगढ़। प्रदेश सरकार महात्मा गांधी ग्रामीण औद्योगिक पार्क (रीपा) के माध्यम से महिलाओं और युवाओं को रोजगार और स्व रोज़गार के सुनहरा अवसर देने का काम कर रही है। शासन के इन सार्थक प्रयासों से उद्यमी आर्थिक रूप से सशक्त हो रहे हैं। नवगठित मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले के परसगढ़ी ग्राम के रीपा में काम करने वाली दीदियाँ स्टेशनरी सामग्री बनाने का काम कर रही हैं। रीपा में स्टेशनरी-पिं्रट यूनिट स्थापित की गई है जिसमें शिव महिला स्व-सहायता समूह के 7 दीदियाँ कार्यरत हैं। समूह की अध्यक्ष श्रीमती रनिया सिंह ने बताया कि वे विभिन्न स्टेशनरी उत्पाद जैसे कॉपी और फ़ाईल पेड बना रहे हैं। रीपा में तैयार उत्पाद सामग्री को सरकारी और ग़ैर सरकारी कार्यालयों, स्कूल, शाला-आश्रमों में मांग अनुसार उपलब्ध कराया जा रहा है। उन्होने बताया कि हम लोगों ने 40 हज़ार 560 रुपए का सामग्री विक्रय कर लिया है जिसमें से हमें 18 हज़ार 210 रुपये का शुद्ध आय प्राप्त हुआ है। समिति की सचिव श्रीमती सुमित्रा सिंह ने बताया कि हम लोग स्टेशनरी निर्माण का विगत 3 माह से कर रहे हैं। सामग्री विक्रय के लिए हम लोग मार्केटिंग भी कर रहे हैं, ताकि अधिक से अधिक लोगों को इसकी जानकारी मिले जिससे हमें ज्यादा से ज़्यादा आर्डर मिल सकें। इन प्रयासों से हमें स्थानीय बाजार एवं कार्यालयों से अच्छा प्रतिसाद मिला है और उत्पादों की गुणवत्ता को लेकर भी सराहना हुई है। समिति के सदस्यों का कहना है कि रीपा के माध्यम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी गति मिली है।  रीपा में स्थानीय संसाधनों की उपलब्धता के अनुरूप व्यवसाय को बढ़ावा दिया जा रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका मूलक गतिविधियों से ग्रामीणों के लिए रोजगार के पर्याप्त अवसर भी सृजित हो रहे हैं। समूह के सदस्यों ने इस रोज़गारमूलक पहल के लिए राज्य सरकार का आभार भी व्यक्त किया।

 

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