नई दिल्ली (ए)। हिंसा से जूझ रहे मणिपुर के नौ और मामलों की जांच केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआई) करेगी। इन मामलों को मिलाकर सीबीआई मणिपुर हिंसा के कुल 17 मामलों की जांच करेगी। अधिकारियों के अनुसार सीबीआई अब तक आठ मामले दर्ज कर चुकी है। इनमें महिलाओं पर कथित यौन उत्पीड़न से संबंधित दो मामले शामिल हैं।
अधिकारियों ने कहा कि जातीय आधार पर विभाजित समाज के चलते सीबीआई की बड़ी चुनौती पक्षपात के आरोपों से बचने की है, क्योंकि एक समुदाय के लोगों की किसी भी संलिप्तता पर दूसरा पक्ष अंगुली उठा सकता है। सूत्रों ने कहा कि कई मामले ऐसे हैं, जिनमें अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के प्रावधान लागू हो सकते हैं।
उन्होंने बताया कि केंद्रीय जांच एजेंसी सभी फोरेंसिक नमूनों को अपनी केंद्रीय फोरेंसिक साइंस लेब्रोटरी में स्थानांतरित कर देगी क्योंकि दोनों में से किसी भी समुदाय के किसी भी सहयोगी द्वारा नमूना संग्रह से जांच की निष्पक्षता पर सवालिया निशान लग सकता है। उन्होंने कहा कि सीबीआई ने महिलाओं के खिलाफ अपराधों से संबंधित मामलों की जांच के लिए राज्य में महिला अधिकारियों को भी तैनात किया है।
मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने रविवार को कहा कि जातीय हिंसा प्रभावित राज्य धीरे-धीरे सामान्य स्थिति की ओर लौट रहा है। उन्होंने यह बात रविवार को इंफाल पश्चिम जिले के हिचम याइचलपार्ट में 132वें देशभक्त दिवस समारोह के दौरान कही। उन्होंने राज्य की क्षेत्रीय अखंडता के संरक्षण के लिए समाज के सभी वर्गों से सहयोग मांगा।
सिंह ने कहा कि मेरी सरकार आम जनता के सहयोग से राज्य की क्षेत्रीय अखंडता को बरकरार रखने के अलावा शांति और समृद्धि बनाए रखेगी। उनका बयान मणिपुर की शांति, बहाली और पुनर्वास समिति की घोषणा के तुरंत बाद आया है। राज्य में पिछले कुछ दिनों में जातीय हिंसा की कोई बड़ी घटना सामने नहीं आई है।
राज्यपाल अनसुइया उइके और मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की। मणिपुर में रविवार को 1891 में ब्रिटिश साम्राज्य को चुनौती देते हुए अपने प्राणों की आहुति देने वाले सभी शहीदों की याद में देशभक्त दिवस मनाया गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि मुझे कांगला उत्तरा और शहीद मीनार की धरती के वीर सपूतों को श्रद्धांजलि देने और बी.टी. पार्क में देशभक्त दिवस समारोह में भाग लेने का सौभाग्य और सम्मान मिला।
इस बीच, असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने हिंसा प्रभावित मणिपुर में शांति बहाली के लिए सेना को सौंपने के कांग्रेस नेता राहुल गांधी के बयान पर पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि समाधान गोलियों से नहीं, दिल से निकलना चाहिए। राहुल पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा, आपके शाही परिवार का हमारे साथी नागरिकों के खिलाफ सेना का इस्तेमाल करने और उन पर गोलियां बरसाने का इतिहास रहा है। चाहे वह आइजोल (1966) में हो या पवित्र अकाल तख्त (1984) में हो। जिसका दर्द और पीड़ा आज तक है। सेना से हल नहीं निकल पाएगा। वे केवल अस्थायी शांति ही ला सकेंगे।
राज्य में तीन मई को शुरू हुई जातीय हिंसा में अब तक 160 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं और सैकड़ों लोग घायल हुए हैं। हिंसक झड़पे तब शुरू हुईं जब बहुसंख्यक मैतई समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) के दर्जे की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ का आयोजन किया गया था। मणिपुर की आबादी में मैतई समुदाय की हिस्सेदारी करीब 53 फीसदी है और वे ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं, जबकि आदिवासी, जिनमें नगा और कुकी शामिल हैं, 40 फीसदी हैं और ज्यादातर पहाड़ी जिलों में रहते हैं।