नई दिल्ली (एं)। चंद्रयान-3 ने अपने लक्ष्य की ओर अबाद्ध गति से बढ़ते हुए गुरुवार को चंद्रमा की कक्षा की ओर एक और कदम बढ़ाया और अंतरराष्ट्रीय चांद दिवस पर भारतवासियों को अमूल्य तोफा दिया। अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने आज चौथी बार चंद्रयान-3 को चांद के और करीब पहुंचाया।
वैज्ञानिकों ने इसरो टेलीमेट्री, ट्रैकिंग और कमांड नेटवर्क (आईएसटीआरएसी) सुविधा केन्द्र से चौथी बार धरती से फायरिंग (अर्थ बाउंड पेरिगी फायरिंग) करके चंद्रयान-3 को सफलतापूर्वक चांद के और करीब पहुंचाया। वैज्ञानिक अब 25 जुलाई को अपराह्न दो से तीन के बीच फायरिंग करके चंद्रयान को लक्ष्य के और करीब पहुंचायेंगे।इसरो ने आज ट्वीट करके कहा कि चंद्रयान-3 के साथ सबकुछ ठीक है। इसरो अध्यक्ष डॉ. एस. सोमनाथ के अनुसार सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के श्रीहरिकोटा लांचिंग रेंज से सफलतापूर्वक चंद्रयान-3 का चौथा ऑर्बिट मैन्यूवर किया गया।
इससे पहले इसरो ने 18 जुलाई को अपराह्न दो से तीन बजे के बीच तीसरी बार धरती से फायरिंग करके चंद्रयान-3 का ऑर्बिट मैन्यूवर किया था।
इसरो चंद्रमा पर अपना तीसरा मून मिशन भेज चुका है। चंद्रयान-3 के माध्यम से भारत दूसरी बार चांद की सतह पर लैंडिंग का प्रयास कर रहा है। चंद्रयान-3 चांद की ऐसी जगह पर ‘कदम’ रखने का प्रयास करेगा जिसे किसी देश ने ‘छूने’ की कोशिश नहीं की है। भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के नजदीक स्थित मैंजिनस-यू क्रेटर के पास चंद्रयान-3 को उतार सकता है। अगर चंद्रयान-3 मिशन सफल रहा, तो भारत दक्षिणी ध्रुव के पास लैंडर उतारने वाला पहला देश बन जाएगा।
इसरो चंद्रमा पर अपना तीसरा मून मिशन भेज चुका है। चंद्रयान-3 के माध्यम से भारत दूसरी बार चांद की सतह पर लैंडिंग का प्रयास कर रहा है। चंद्रयान-3 चांद की ऐसी जगह पर ‘कदम’ रखने का प्रयास करेगा जिसे किसी देश ने ‘छूने’ की कोशिश नहीं की है। भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के नजदीक स्थित मैंजिनस-यू क्रेटर के पास चंद्रयान-3 को उतार सकता है। अगर चंद्रयान-3 मिशन सफल रहा, तो भारत दक्षिणी ध्रुव के पास लैंडर उतारने वाला पहला देश बन जाएगा।
पृथ्वी की कक्षा में चंद्रयान-3 के कुल पांच इंजेक्शन ऑर्बिट हैं। फायरिंग पूरा होने पर चंद्रयान-3 धरती की कक्षा से पूरी तरह बाहर चला जायेगा। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि यह प्रक्रिया 31 जुलाई से एक अगस्त के बीच देर रात तक पूरी हो जायेगी।