Home देश-दुनिया दुष्कर्मी-हत्यारे को आजीवन कारावास, मददगार दोस्त को दो साल की जेल, महज 58 दिन में हुआ इंसाफ

दुष्कर्मी-हत्यारे को आजीवन कारावास, मददगार दोस्त को दो साल की जेल, महज 58 दिन में हुआ इंसाफ

by admin

नई दिल्ली (एं)। पाक्सो कोर्ट के न्यायधीश तेंद्र पाल ने साहिबाबाद की डिफेंस काॅलोनी में 11 मार्च को चार साल की मासूूम बच्ची की दुष्कर्म के बाद हत्या के दोषी दुकानदार अजय भाटी (28) को बृहस्पतिवार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। बच्ची का शव ठिकाने लगाने में सहयोग करने वाले उसके दोस्त नीरज को दो साल का कारावास दिया गया है। इस मामले में पहले पुलिस और फिर कोर्ट ने तेजी दिखाई। जहां पुलिस ने सिर्फ 17 दिन में गवाह और सुबूत जुटाकर 56 पन्नों का आरोप पत्र दाखिल किया, वहीं कोर्ट ने महज 58 कार्यदिवस में सुनवाई पूरी कर फैसला सुना दिया।

अजय पर 44 हजार व नीरज पर दो हजार रुपये का अर्थदंड लगाया गया है। अर्थदंड से मिलने वाली पूरी धनराशि मृतका के परिजनों दी जाएगी। बचाव पक्ष ने कहा था कि मृत बच्ची और आरोपी के डीएनए का मिलान नहीं हुआ है। किसी तरह का कोई प्रत्यक्ष साक्षी नहीं है। पुलिस ने कूड़ा बीनने वाले को जबरदस्ती गवाह बनाकर पेश किया था। अभियोजन पक्ष ने 10 गवाह पेश किए और 22 साक्ष्य रखे। अदालत ने मेडिकल परीक्षण रिपोर्ट और परिस्थितिजन्य साक्ष्यों को अहम मानते हुए इनके आधार पर दोषियों को सजा सुनाई।

दोनों को 11 जुलाई को दोषी करार दे दिया गया था। सजा के सवाल पर सुनवाई के दौरान विशेष लोक अभियोजक उत्कर्ष वत्स ने कहा कि यह अपराध विरल से विरलतम श्रेणी का है।  अजय ने फूल सी बच्ची के साथ दुष्कर्म  के बाद अपराध छिपाने के लिए उसकी हत्या कर दी।

शोर मचाने पर की थी हत्या, जंगल में फेंका था शव
घटना की एफआईआर टीला मोड़ थाने में बच्ची की बुआ ने दर्ज कराई थी। बुआ ने पुलिस को बताया था कि बच्ची के पिता का जनवरी में निधन हो गया था। मां की मानसिक हालत ठीक नहीं थी। ऐसे में बच्ची बेसहारा हो गई थी। नीरज की पत्नी ने उसे अपने पास रख लिया था। कहा था कि वह उसे गोद लेगी। लेकिन, नीरज उसे रोज अपनी हवस का शिकार बना रहा था। 11 मार्च को जब पत्नी बाहर गई तो नीरज ने  दुष्कर्म किया। वह चिल्लाने लगी तो उसे पीटा। उसका खून निकल आया। यह फर्श पर गिर गया। गुस्से में उसने बच्ची की गला घोंटकर हत्या कर दी।

इसके बाद गली में आकर शोर मचाया कि बच्ची का अपहरण हो गया है। शव को पूजाघर में छिपा दिया था। पुलिस ने काॅलोनी के सीसीटीवी फुटेज देखे तो बच्ची नजर नहीं आई। नीरज के घर में खून के धब्बे मिलने से उस पर शक हुआ। पूछताछ हुई तो उसने जुर्म कुबूल किया। उसी की निशानदेही पर शव बरामद हुआ। वह 11 की रात ही दोस्त नीरज के साथ  स्कूटी पर ले जाकर शव को जंगल में फेंक आया था।

मृत्युदंड तभी दिया जाए जब सुधार की गुंजाइश न हो
अभियोन पक्ष ने इस केस को विरल से विरलतम श्रेणी का बताते हुए दोषी नीरज के लिए फांसी की सजा की मांग की। इस पर कोर्ट ने कहा, ऐसे अपराधी समाज के लिए कोढ़ के समान हैं। ऐसे अपराधी को समाज में रखने का कोई औचित्य नहीं। यह प्ररकरण विरल से विरलतम की श्रेणी में आता लेकिन हाईकोर्ट अपने एक आदेश में कहा है कि विरलतम मामलों में भी दोषसिद्ध को तभी मृत्युदण्ड दिया जाए, जब उसमें सुधार की कोई संभावना नहीं हो।

इस प्रकरण में दोषी अजय भाटी में अभी सुधार की संभावना है। उसकी उम्र 28 साल है। उसके दो छोटे-छोटे बच्चे हैं, बूढ़ी मां है। यह उसका पहला अपराध है। उसे सुधारा जा सकता है। जेल में रहकर वह प्रायश्चित करेगा और अपना मानसिक सुधार करेगा। ऐसी स्थिति में उसे मृत्युदण्ड से दण्डित न कर आजीवान कारावास से दण्डित किया जाना न्यायोचित होगा। दोषसिद्ध नीरज कुमार की उम्र 24 साल है। वह गरीब है। उसे न्यायालय द्वारा न्यायमित्र की सुविधा दी गई। उसे भी तुलनात्मक दण्ड दिया जाना न्यायोचित होगा।

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