Home छत्तीसगढ़ मुख्यमंत्री वृक्ष सम्पदा योजना : वित्तीय सहभागिता एवं नीलगिरी के वृक्षारोपण के उत्पाद की वापस खरीदी हेतु वन विभाग तथा सहयोगी संस्था एवं निजी कम्पनियों के मध्य द्विपक्षीय करारनामा सम्पन्न

मुख्यमंत्री वृक्ष सम्पदा योजना : वित्तीय सहभागिता एवं नीलगिरी के वृक्षारोपण के उत्पाद की वापस खरीदी हेतु वन विभाग तथा सहयोगी संस्था एवं निजी कम्पनियों के मध्य द्विपक्षीय करारनामा सम्पन्न

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वर्ष 2023-24 में कुल 13,000 कृषकों के 22,000 एकड़ निजी भूमि में 1 करोड़ 86 लाख 14 हजार नग क्लोनल नीलगिरी पौधा रोपण का लक्ष्य

रायपुर। सरकार की महत्वाकांक्षी ‘मुख्यमंत्री वृक्ष संपदा योजना’ अंतर्गत छत्तीसगढ़ में वित्तीय वर्ष 2023-24 में कुल 13,000 कृषकों के 22,000 एकड़ निजी भूमि में 1 करोड़ 86 लाख 14 हजार नग क्लोनल नीलगिरी पौधा रोपण का लक्ष्य है। इसके सफल क्रियान्वयन के लिए वित्तीय सहभागिता तथा नीलगिरी वृक्षारोपण के उत्पाद की वापस खरीदी के संबंध में वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग छत्तीसगढ़ और सहयोगी संस्था/निजी कम्पनियों के मध्य द्विपक्षीय करारनामा में आज 13 जुलाई को हस्ताक्षर किया गया।
गौरतलब है कि ‘मुख्यमंत्री वृक्ष सम्पदा योजना’ के अंतर्गत छत्तीसगढ़ में वन क्षेत्र के बाहर कृषकों तथा अन्य हितग्राहियों की निजी भूमि पर प्रति वर्ष 36,000 एकड़ की दर से पांच वर्षाे में 1,80,000 एकड़ में क्लोनल नीलगिरी एवं अन्य वृक्षों का वाणिज्यिक वृक्षारोपण का लक्ष्य है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य सहयोगी संस्था तथा निजी कम्पनियों के वित्तीय सहभागिता से कृषकों और अन्य हितग्राहियों की निजी भूमि पर वाणिज्यिक प्रजातियों के वृक्षारोपण को बढ़ावा देना है, इसके माध्यम से योजना के हितग्राहियों के उत्पाद की वापस खरीदी सुनिश्चित करते हुए उनकी आय में बढ़ोत्तरी करना है। साथ ही राज्य में काष्ठ, प्लाईवुड एवं पल्पवुड आधारित उद्योगों को बढ़ावा देते हुए अतिरिक्त कर के रूप में शासन के राजस्व में वृद्धि लाना है।
मुख्यमंत्री वृक्ष सम्पदा योजना प्रारंभ करने के संबंध में, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के साथ सहयोगी संस्था एवं निजी कम्पनी के प्रतिनिधि श्री अजय नियोडिंग, वाईस प्रेसिडेंट, ओरियंट पेपर मिल अमलाई तथा श्री सुनील पाण्डेय, वाईस प्रेसिडेंट आईटीसी लिमिटेड पीएसपीडी भद्राचलम द्वारा आज कार्यालय प्रधान मुख्य वन संरक्षक, अरण्य भवन, अटल नगर, नवा रायपुर में द्विपक्षीय करारनामा में हस्ताक्षर किया गया। उनके द्वारा कृषकों की निजी भूमि में वृक्षारोपण हेतु क्लोनल नीलगिरी पौधा प्रदाय किया जा रहा है।

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