गोठानों में आजीविका मूलक गतिविधियों से जुड़कर मिला रोजगार
परिवार की आर्थिक जिम्मेदारियों में बटा रही अपना हाथ
बिलासपुर,
जिले के मस्तूरी विकासखण्ड की स्व सहायता समूह की दीदियां अब बड़े शान से परिवार की आर्थिक जिम्मेदारियों में अपना हाथ बटा रही है। गोठानों में संचालित आजीविका मूलक गतिविधियों से जुड़कर अपना भविष्य गढ़ रही है। रोजगार मिलने से बढ़े आत्मविश्वास से अब इन दीदियों के चेहरे खिल गए है। कभी रोजगार के लिए भटकने वाली क्षेत्र की ग्रामीण महिलाएं अब पूरी तरह से रोजगार की चिंता से मुक्त हो गई है। उनका कारोबार चल पड़ा है और वे अब लाखों में कमाई कर रही हैं।
मस्तूरी क्षेत्र के जुहली गोठान की दीदियों के चेहरे की मुस्कान को देखते हुए इनके जीवन में आई आर्थिक सम्पन्नता का अंदाजा लगाया जा सकता है। राज्य शासन की सुराजी ग्राम योजना ने इनके जीवन में बहुत महत्वपूर्ण बदलाव किया है। जय मां दुर्गा महिला स्व सहायता समूह की सचिव श्रीमती विष्णु देवी सारथी ने बताया कि गोठान में वर्मी कम्पोस्ट निर्मित कर बेचा गया, जिससे उन्हें सवा लाख रूपए से ज्यादा की आमदनी हुई है। इसके अलावा सब्जी उत्पादन से भी 76 हजार रूपए से ज्यादा की आय प्राप्त हुई है। प्याज, आलू की खेती, मछली एवं बत्तख पालन कर आय में बढ़ोत्तरी की दिशा में कदम बढ़ा रही है। वे कहती हैं कि जीवन यापन के लिए पहले रोजी-मजदूरी करके या फिर अन्य राज्यों में काम करने जाते थे। लेकिन सरकार की इस योजना से अब समूह की सभी दीदियां आत्मनिर्भर है। जय बुढ़ादेव महिला स्व सहायता समूह की श्रीमती दुखनी बाई मरकाम ने बताया कि उनके समूह में 10 महिला कार्य कर रही हैं। श्रीमती मरकाम कहती हैं कि छत्तीसगढ़ शासन की गोधन न्याय योजना से गरीब महिलाओं को आजीविका का अवसर मिला है। वे गोठान में वर्मी कम्पोस्ट निर्माण, केंचुआ उत्पादन, सब्जी उत्पादन का कार्य कर रही है। वर्मी कम्पोस्ट खाद से उनके समूह को कुल 1 लाख 57 हजार रूपए से ज्यादा की आमदनी हो चुकी है। परिवार और सामाज में मान सम्मान बढ़़ाने वाली इस योजना के लिए इन समूहों की दीदियों ने मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के प्रति आभार जताया।