सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र जो बांध, थर्मल, हाइड्रो-इलेक्ट्रिक और परमाणु ऊर्जा परियोजनाओं, पुलों, एक्सप्रेसवे, फ्लाईओवर, सुरंगों और ऊंची इमारतों सहित राष्ट्रीय महत्व की बड़ी परियोजनाओं में उपयोग के लिए भूकंप और जंगरोधी गुणों के साथ उच्च शक्ति वाले टीएमटी बार का उत्पादन करता है, विगत दिनों देश की महत्वाकांक्षी सेंट्रल विस्टा परियोजना में उपयोग हेतु वांछित विनिर्देश के टीएमटी बार की आपूर्ति कर रहा है। देश की राजधानी नई दिल्ली में निर्माणाधीन इस सेंट्रल विस्टा परियोजना का उद्देश्य भारत सरकार के संसद भवन और सभी मंत्रालयों के लिए केंद्रीय सचिवालय के लिए नई सुविधाओं का निर्माण और मौजूदा सुविधाओं का पुनर्विकास करके बुनियादी ढांचे को मजबूत करना है।
जहां स्टील अथॉरिटी आॅफ इंडिया लिमिटेड (सेल) ने अब तक सेंट्रल विस्टा परियोजना के निर्माण में उपयोग हेतु लगभग 34,000 टन स्टील की आपूर्ति की है, वहीं भिलाई इस्पात संयंत्र ने अब तक परियोजना के लिए लगभग 8500 टन उच्च जंगरोधी (एचसीआर) ग्रेड के टीएमटी बार की आपूर्ति की है। भिलाई इस्पात संयंत्र के मर्चेंट मिल द्वारा एचसीआर ग्रेड में 25 और 32 मिलीमीटर व्यास के टीएमटी बार्स और बार एंड रॉड मिल से एचसीआर ग्रेड में 16 मिलीमीटर व्यास के टीएमटी बार्स की आपूर्ति की गई हैं। सेंट्रल विस्टा परियोजना के लिए स्टील की आपूर्ति करने वाले सेल के अन्य संयंत्रों में इस्को स्टील प्लांट, बर्नपुर और दुर्गापुर स्टील प्लांट शामिल हैं।
उल्लेखनीय है कि सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र, मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल (एमएएचएसआर) परियोजना में उपयोग के लिए टीएमटी बार की आपूर्ति कर रहा है। बुलेट ट्रेन परियोजना के रूप में प्रसिद्ध इस परियोजना के निर्माण में उपयोग हेतु सेल-बीएसपी ने अब तक 1,90,000 टन से अधिक स्टील की आपूर्ति की है, जिसमें ज्यादातर टीएमटी बार्स शामिल है। दिसंबर 2022 में सेल-बीएसपी ने हाई स्पीड बुलेट ट्रेन परियोजना की विशिष्ट लंबाई की आवश्यकता को पूरा करने के लिए 16 मिलीमीटर व्यास में 9 मीटर लंबाई में 4000 टन टीएमटी बार्स संयंत्र के बार एवं राॅड मिल में रोल किए गए हैं, जिसमें से 3000 टन से अधिक परियोजना के लिए आपूर्ति किया गया है।
देश में कुछ लैंडमार्क परियोजनाएं जहां सेल-बीएसपी स्टील का उपयोग निर्माण गतिविधियों के लिए किया गया है, उनमें बांद्रा वर्ली सी लिंक ब्रिज, स्टैच्यू ऑफ यूनिटी, आगरा एक्सप्रेस-वे, जिस पर लड़ाकू विमान भी उतारे जा चुके हैं और उत्तर और उत्तर-पूर्व भारत में कई पुल और सुरंगें शामिल हैं।