गरियाबंद .
नदी नालों एवं जल स्त्रोतों को उपचारित कर भूमिगत जल स्तर में सुधार एवं मृदा क्षरण को रोकने के उद्देश्य से नरवा विकास योजना के तहत उपचारित बासीखाई नाला के सिंचाई क्षेत्र में वृद्धि होने से अब क्षेत्र के किसान भी रबी फसल लेने के लिए प्रोत्साहित हो रहे हैं।
वनमण्डलाधिकारी श्री मणिवासगन एस के अनुसार गरियाबंद वनमंडल के वन परिक्षेत्र गरियाबंद अंतर्गत बासीखाई नाला को उक्त योजना अंतर्गत उपचारित किया गया है। नाले की कुल लंबाई 8.500 कि.मी. है एवं केचमेंट एरिया 1768 हेक्टेयर है। इस नाला के उपचार हेतु कंटूरट्रेंच- 7570 नग, ब्रशवुड- 277 नग, लुज बोल्डर चेकडेम- 326, गेवियन संरचना- 8 नग, तालाब – 2 नग, क्ले डाईक- 2 नग, अर्दन गली प्लग- 21 नग कुल 8206 नग संरचनाओं का निर्माण 52.84 लाख लागत राशि से किया गया है। उपरोक्त संरचनाओं के निर्माण से 1.030 लाख घन.मी. जल भण्डार मे वृद्धि हुई है, जिससे संभावित जल सिंचाई क्षेत्र 42 हेक्टेयर तथा वनक्षेत्र में 1768 हेक्टेयर मृदा क्षरण को कम करने में सफलता मिली है। उक्त कार्याे के माध्यम से ग्रामीणों को प्रत्यक्ष रूप से रोजगार भी मिला है। वन क्षेत्रों में बनाये गये विभिन्न संरचनाओं से भू-जल स्तर मे औसत 120 सेमी. वृद्धि हुई है। इसके अलावा 1.030 लाख घन मीटर संचित जल का प्रत्यक्ष लाभ वन एवं वन्य प्राणियों को भी मिल रहा है, जिससे वन्य प्राणियों को वन क्षेत्रों में भोजन एवं रहवास में सुविधा हो रही है। परिणाम स्वरूप वन्य प्राणियों का रहवास क्षेत्रो में आवागमन कम हुआ है, जिससे वन्य प्राणी – मानव द्वन्द की स्थिति न्यून हुई है। नरवा विकास योजना के तहत् नालों में वर्षाकाल का पानी संचय कर कृषक उन्नत कृषि कर आर्थिक रूप से सक्षम बन रहे है, साथ ही स्थानीय ग्रामीणों को लगभग 15058 मानव दिवस रोजगार प्राप्त हुआ है।