रायपुर के साईंस कॉलेज मैदान में आयोजित राज्य युवा महोत्सव के पहले दिन मुख्य मंच मांदर की थाप पर थिरकते कलाकारों के नाम रहा। युवा कलाकारों ने अपने लय और ताल से समा बांध दिया। दर्शकों ने भी कलाकारों की शानदार प्रस्तुति पर खुशियां जाहिर की। करमा नृत्य की 15 से 40 आयु वर्ग की प्रतियोगिता में पहले स्थान पर रायगढ़, दूसरे स्थान पर कांकेर, तीसरे स्थान पर सूरजपुर रहा।
साइंस कॉलेज मैदान में दुर्ग, रायगढ़, सूरजपुर, कांकेर और बालोद जिले के कलाकारों ने पारम्परिक परिधानों से सज-धज कर मुख्य मंच पर अपनी मनमोहक प्रस्तुति दी। करमा नृत्य दर्शकों को खूब भाया। छत्तीसगढ़ की संस्कृति में प्रचलित अनेक लोक नृत्यों में से करमा नृत्य एक है। करमा नृत्य राज्य में निवास करने वाली जनजातियों द्वारा किया जाता है। ये जनजातियां सरई एवं करम वृक्ष के नीचे इकठ्ठा होकर करमा गीत गाकर नृत्य करते हैं। जनजाति समूह वर्ष में एक बार इकठ्ठा होकर देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना करके उत्सव मनाते हैं और करम वृक्ष की टहनी को जमीन में गड़ाकर चारों और घूम-घूमकर आनंदपूर्वक करमा नृत्य करते हैं। करमा नृत्य हमें कर्म का संदेश देता है।
मुख्य मंच पर सरगुजा संभाग से सूरजपुर जिला, बिलासपुर संभाग से रायगढ़ जिला, दुर्ग संभाग से बालोद जिला, बस्तर संभाग से कांकेर जिला और रायपुर संभाग से महासमुंद जिले के 15 से 40 आयु वर्ग के कलाकारों ने पारंपरिक गीतों एवं धुन पर समूह में नृत्य करके युवक-युवतियों ने सबका मन मोह लिया। सूरजपुर जिले के युवाओं ने स्थानीय लोकगीत के साथ रायगढ़ जिला के लोक कलाकारों ने सफेद वेशभूषा में मधुर संगीत की धुन पर और बालोद जिले के युवाओं ने छत्तीसगढ़ महतारी और भारत माता की जयकारे के साथ करमा नृत्य की प्रस्तुति दी।
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