Home छत्तीसगढ़ पंडवानी गुरु झाड़ूराम देवांगन की याद में 3 दिन का पंडवानी समारोह 23 से

पंडवानी गुरु झाड़ूराम देवांगन की याद में 3 दिन का पंडवानी समारोह 23 से

by Surendra Tripathi

भिलाई। पंडवानी के पुरोधा और गुरु दिवंगत झाड़ू राम देवांगन के ग्रह ग्राम बासीन भिलाई में छत्तीसगढ़ आदिवासी लोक कला अकादमी, छत्तीसगढ़ संस्कृति परिषद, संस्कृति विभाग छत्तीसगढ़ शासन द्वारा पंडवानी समारोह का आयोजन 23, 24 और 25 दिसंबर को होने जा रहा है। जिसमें तीनों दिन पंडवानी विधा के ख्यातिलब्ध कलाकार अपनी प्रस्तुतियां देंगे। इस दौरान दर्शकों को पंडवानी की अलग-अलग शैलियों से रूबरू होने का अवसर मिलेगा।

छत्तीसगढ़ आदिवासी लोककला अकादमी के  अध्यक्ष  नवल  शुक्ल  ने  बताया  कि  जामुल  के समीपस्थ ग्राम बासीन में कार्यक्रम प्रतिदिन शाम 7:30 बजे से शुरू होगा। पहले दिन 23 दिसंबर को पंडवानी गुरु डॉक्टर तीजनबाई के अलावा दुष्यंत द्विवेदी, मीना साहू ,लखन लाल ध्रुव व इंदिरा जांगड़े शामिल होंगे। दूसरे दिन 24 दिसंबर को ऋतु वर्मा,प्रहलाद गुलशन निषाद, कन्हैया बंदे अमृता साहू व चेतन लाल देवांगन अपनी पंडवानी की प्रस्तुति देंगे। वहीं अंतिम दिन 25 दिसंबर की शाम अर्जुन सेन, शांति चेलक, प्रभा यादव व उषा बारले की प्रस्तुति होगी।

बासीन से निकल कर फ्रांस-जर्मनी सहित दुनिया
भर के मंच पर पंडवानी सुनाई थी झाड़ूराम ने

पंडवानी गुरु झाड़ूराम देवांगन का जन्म 1927 में भिलाई के समीपस्थ बासीन गांव में हुआ था। वह बचपन से ही गांव में माता सेवा, जवारा व शादी में हिस्सा लेते थे। 9 साल की उम्र में ही उनके माता पिता की मृत्यु हो गई। जिसके कुछ समय बाद आपने कपड़ा बुनाई का काम सीखा। आपने सफल सिंह चौहान की छत्तीसगढ़ी महाभारत को पढ़कर मनन करना आरंभ किया और 12 वर्ष की उम्र में पंडवानी का गायन आरंभ किया। सन 1964 में भोपाल आकाशवाणी से पहली बार आपका पंडवानी गायन प्रसारित किया गया।

आप ने 1975 में दिल्ली के अशोका होटल में 7 दिनों तक लगातार पंडवानी गायन का कार्यक्रम प्रस्तुत किया। आपने पुनाराम निषाद और रेवाराम साहू के साथ मिलकर सन 1975 से 85 के बीच इंग्लैंड अमेरिका, फ्रांस आदि देशों में महाभारत की कथा को अपनी विशिष्ट शैली में प्रस्तुत कर समग्र विश्व में इस छत्तीसगढ़ी लोक गाथा शैली को ऊंचाईयां दी। सन 1981 में इंग्लैंड, इटली, फ्रांस व जर्मनी आदि जगह पर आपने कार्यक्रम प्रस्तुत किए।

इसके अलावा प्रधानमंत्री निवास में श्रीमती इंदिरा गांधी के समक्ष पंडवानी प्रस्तुत की तथा भोपाल के रविंद्र भवन में आदिवासी लोक कला की ओर से आयोजित कार्यक्रम प्रस्तुत किया। आपके शिष्यों में पुनाराम निषाद, चेतन राम और प्रभा यादव पंडवानी में मशहूर हुए। 14 जून 2002 को आपका देहावसान हुआ।

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