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कांकेर। भानुप्रतापपुर उपचुनाव का प्रचार थमने के बाद से सियासी आरोप-प्रत्यारोप का दौर अब भी जारी है। कांग्रेस ने आदिवासी समाज के बिकाऊ होने का आरोप लगाया है, जिसको लेकर भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज व आदिवासी नेताओं ने कांग्रेस स्थित भाजपा कार्यालय में प्रेसवार्ता की। इस दौरान चुनाव संचालक बृजमोहन अग्रवाल, नारायण चंदेल, रामविचार नेताम, केदार कश्यप, सतीश लाटिया, संतोष पांडेय अन्य बीजेपी नेता शामिल रहें।
मीडिया से बातचीत करते हुए आदिवासी नेता केदार कश्यप ने कहा कि आदिवासी समाज न ही बिकाऊ है और न ही कांग्रेस का गुलाम। हमारा समाज बिरसा मुंडा, वीर नारायण का वंश है। कांग्रेस पार्टी द्वारा किए गए इस प्रकार के अपमान का बदला आदिवासी समाज इसी भानुप्रतापपुर के उपचुनाव में अवश्य रूप से लेगा।
*बृजमोहन अग्रवाल ने लगाया कलेक्टर और एसपी पर कांग्रेस का प्रचार करने का आरोप*
इस प्रेसवार्ता में उपचुनाव प्रभारी बृजमोहन अग्रवाल ने तो सीधा जिले के कलेक्टर और एसपी के ऊपर आरोप लगाया कि वे कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता बन कर कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमने सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ शिकायत दर्ज की है जिसमें ये नाम मुख्य है, सुरेश कुमार मंडावी (सहायक सांख्यिकी अधिकारी, जिला कांकेर), शरद ठाकुर ( सहायक अध्यापक भानुप्रतापपुर)। इससे पहले भी हमारे कार्यकर्ताओं ने 8 सरकारी अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। उन्होंने बताया कि इस उपचुनाव में 15 अलग-अलग स्थानों पर कांग्रेस द्वारा बांटी जा रही शराब की शिकायत भी दर्ज कराई है।
*आदिवासी समाज को अपमानित करने काम कांग्रेसी हमेशा से करते आए हैं*
बृजमोहन अग्रवाल ने कांग्रेस सरकार और उनके नेताओं पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज को हमेशा से कांग्रेस सरकार ने बदनाम किया है। पहले इन्होंने आरक्षण छीना, बस्तर संभाग के लोगों की नौकरी छीनी, फिर आदिवासी नेता पर झूठा आरोप और अब आदिवासी समाज को चंद पैसों में बिकने वाला बताकर लगातार अपमानित कर रहे हैं। आदिवासी समाज इसका बदला जरूर लेगा।
रामविचार नेताम जी ने इस दौरान कहा कि 30 हजार प्रधानमंत्री आवास जो भानुप्रतापपुर क्षेत्र में बनाये जाने थे, उसको भूपेश बघेल ने रोक दिया। अब लोगो का विरोध न झेल पाने वाली सरकार आरक्षण पर विशेष सत्र बुलाकर नौटंकी कर रही है। चुनाव के प्रचार के बीच में विशेष सत्र बुलाया जाना एक बड़ा दिखावा है। उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल करने वाले को राज्यमंत्री का दर्जा देकर इस सरकार ने सम्मानित करने का काम किया है। आदिवासी समाज को अपमानित करने वाली ये सरकार है। क्षेत्र के आधार पर भर्ती नियम समाप्त करने वाली इस सरकार को यहां की जनता और पूरा छत्तीसगढ़ कभी माफ नहीं करेगा।