Home छत्तीसगढ़ हमने गांवों को उत्पादन और शहरों को विक्रय का केन्द्र बनाया

हमने गांवों को उत्पादन और शहरों को विक्रय का केन्द्र बनाया

by Surendra Tripathi

रायपुर –

मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने कहा कि हमारी सरकार ने गांवों को उत्पादन का केन्द्र बनाया और शहरों को विपणन व विक्रय का केन्द्र बनाया। जब गांव में उत्पादन बढ़ा तो इससे गांवों की अर्थव्यवस्था भी बढ़ी। ग्रामीणों की जेब में गया यह पैसा उन्होंने शहरों में जाकर अपनी जरूरत की वस्तुएं खरीदने में लगाया, इससे शहरों में भी व्यापार को समृद्धि मिली। इस तरह से गांव से लेकर शहर तक अर्थव्यवस्था का पहिया घुमाने का काम किया है। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने उक्त बातें आज शाम यहां एक टीवी न्यूज चैनल द्वारा आयोजित ’कका ने ठाना, दुनिया ने माना’ कार्यक्रम में कही। मुख्यमंत्री ने इस दौरान छत्तीसगढ़ के विकास की रणनीति से लेकर अनेक समसामयिक मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की। मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार गांवों को केन्द्र में रखकर विकास के काम कर रही है।

कार्यक्रम में सबसे पहले मुख्यमंत्री का स्वागत छत्तीसगढ़ के पारम्परिक लोक वाद्ययंत्रों पर छत्तीसगढ़ की संस्कृति में रचे-बसे गीतों की धुन बजाकर की गई। वहीं कार्यक्रम के दौरान स्कूली बच्चों ने अलग-अलग रूप धरकर अपनी प्रस्तुति दी। नन्ही बालिका छत्तीसगढ़ी महतारी बनकर पहुँची तो कोई महात्मा गाँधी तथा किसी ने स्वामी विवेकानंद, स्वामी आत्मानंद और मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल का रूप धारण कर लोगों के सामने अपनी प्रस्तुति दी। परिचर्चा के दौरान मुख्यमंत्री से सवाल किया गया कि आपकी सरकार के लिए यह बात होती है कि आपकी सरकार सिर्फ़ ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर बात करती है? इस पर मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि, हमारा गाँव उत्पादन का केंद्र रहा है। आज छत्तीसगढ़ में हम वही कर रहे हैं। कोरोना जैसे संकटकाल में मंदी का असर भी इसलिए नहीं हुआ। पहले छत्तीसगढ़ में 150 तरह के उत्पाद बनते थे। आज छत्तीसगढ़ में 800 तरह के उत्पाद बनते हैं। हमने गाँव को उत्पादन का केन्द्र बनाया तो शहरों को विपणन और विक्रय का केन्द्र बनाया। उसका फ़ायदा भी देखने को मिल रहा है। हमने मंडी शुल्क कम कर दिया तो बाहर के व्यापारी भी यहाँ ख़रीदी के लिए आए। इससे किसानों से साथ व्यापारी वर्ग को भी फ़ायदा हुआ। हम गाँव के अर्थव्यवस्था को बढ़ाया तो शहरों तक उसका असर हुआ क्योंकि ग्रामीण अपने पैसों से शहरों में आकर अपनी ज़रूरत की वस्तुएँ ख़रीद रहे हैं। यह एक तरह से चक्रीय व्यवस्था है।

बीते वक्त और वर्तमान में मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल में हुए बदलाव के सवाल पर उन्होंने कहा, जब उद्देश्य जनसेवा हो तो जीवन नहीं बदलता। हम पहले भी जनता के हित की बात करते थे आज भी वही कर रहे हैं। हमने किसानों, मज़दूरों और वनवासियों के हित में निर्णय लिए। हमने लघुवनोपजों की ख़रीदी को सात से बढ़ाकर 65 कर दिया। देश में 74 फ़ीसदी लघुवनोपजों की ख़रीदी छत्तीसगढ़ कर रहा है। वहीं जब उनसे पूछा गया कि छत्तीसगढ़ को लेकर आपके कौन से अरमान शेष हैं? इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि, अभी तो मुट्ठी भर जमीन नापी है, अभी तो पूरा आसमान बाकी है।

लोकतंत्र और राजनीति के बदलते स्वरूप के सवाल पर मुख्यमंत्री ने लोकतंत्र में गिरावट की बात को स्वीकार करते हुए इसके लिए राजनेताओं को ही जिम्मेदार बताया और कहा कि, भारत में महावीर स्वामी ने अनेकांतवाद का दर्शन दिया, जिसे आत्मसात् करने की ज़रूरत है। सर्वधर्म समभाव की बात रामकृष्ण परमहंस जी ने कही है, जिन्हें आत्मसात् कर और उनके राह पर चलना होगा। राम की व्याख्या के सवाल पर मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा, राम का हर व्यक्ति के लिए अलग तरह का अस्तित्व है। रामनामी संप्रदाय ने तो अपना पूरा शरीर राम को समर्पित कर दिया। छत्तीसगढ़ में भाँजा राम, वनवासी राम, यहाँ जन-जन के राम हैं। राम हमेशा आशीर्वाद देने वाले राम हैं जिन्हें कुछ लोग अलग ही स्वरूप में प्रस्तुत करते हैं। उन्होंने कहा, हिंसा का स्थान समाज में नहीं होना चाहिए। इस कार्यक्रम के दौरान वन मंत्री श्री मोहम्मद अकबर, स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम समेत अनेक जनप्रतिनिधि व गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

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