Home छत्तीसगढ़ बैंकों के निजीकरण की मंशा उचित नहीं

बैंकों के निजीकरण की मंशा उचित नहीं

by Surendra Tripathi

रायपुर-

मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल से  उनके निवास कार्यालय में ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कांफेडरेशन की छत्तीसगढ़ इकाई के सचिव श्री वाय. गोपाल कृष्णा के नेतृत्व में प्रतिनिधि मंडल ने सौजन्य मुलाकात की। प्रतिनिधि मंडल ने छत्तीसगढ़ में बैंकिंग सेवाओं तथा शासकीय योजनाओं एवं कार्यक्रमों के लक्ष्यपूर्ति एवं हितग्राहियों को बैंकों के माध्यम से दी जा रही सुविधाओं की जानकारी दी। प्रतिनिधि मंडल ने बैंकों के निजीकरण की वजह से भविष्य में आने वाली दिक्कतों को लेकर भी अपनी बात रखी।
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने कहा कि देश के नागरिक को बैंकिंग सेवा का लाभ दिलाने के उद्देश्य से पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्रीमती इंदिरा गांधी ने 19 जुलाई 1969 में बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया था। इस वर्ष 53वीं वर्षगांठ मनाने जा रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीयकृत बैंकों का निजीकरण किए जाने की मंशा उचित नहीं है। इसका हम पुरजोर विरोध करते हैं। उन्होंने कहा कि बैंकों का निजीकरण होने से जमा पूंजी सुरक्षित नहीं रहेगी, क्योंकि सरकार द्वारा दी गई गारंटी समाप्त हो जायेगी। बैंकों के निजीकरण से आरक्षण समाप्त हो जायेगा। निजी बैंकों की शाखाये सिर्फ शहरों तक सीमित रह जायेगी। इसके कारण कमजोर एवं गरीब परिवार के लिए जारी सरकारी स्कीम का लाभ बंद हो जायेगा। प्रतिनिधिमंडल में सर्वश्री एस के खजांची, एम.पी. सिंह, प्रकाश चौहान, सिद्धार्थ हरि, निलेश कुमार मंडावी शामिल थे।

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