Home छत्तीसगढ़ कलेक्टर ने जिले में उर्वरक व्यवस्था के संबंध में ली बैठक

कलेक्टर ने जिले में उर्वरक व्यवस्था के संबंध में ली बैठक

by Surendra Tripathi

बालोद –
कलेक्टर श्री जनमेजय महोबे ने कल संयुक्त जिला कार्यालय में आयोजित कृषि, जिला विपणन संघ एवं सहकारिता विभाग के अधिकारियों की समीक्षा बैठक में जिले में उर्वरक व्यवस्था के संबंध समीक्षा की और कंपनी एवं राज्य स्तर से उर्वरकों की उपलब्धता की जानकारी ली। बैठक में डबल लाॅकस्तर पर उपलब्ध उर्वरकों को यथाशीघ्र समितियों में भण्डारण करके समिति स्तर से कृषकों को वितरण कराने के निर्देश दिये गये। जिन समितियों में उर्वरक की कमी है, उनमें प्राथमिकता के आधार पर उर्वरक भण्डारण करने हेतु नोडल अधिकारी, जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक को समिति प्रबंधकों के माध्यम से आर.ओ., डी.डी. जारी करने हेतु सख्त निर्देश दिए गए। कृषि विभाग के उप संचालक ने बताया कि सामान्यतः कृषकों द्वारा डी.ए.पी. उर्वरकों की मांग अधिक की जा रही है, जिसकी उपलब्धता के लिए जिला एवं राज्य स्तर पर हर संभव प्रयास किये जा रहे हैं। कलेक्टर ने शासन के दिशा निर्देशों के अनुसार उर्वरकों की गुणवत्ता नियंत्रण, विक्रय हेतु पी.ए.ओ.एस. मशीन की अनिवार्यता एवं निर्धारित दर पर उर्वरकों के विक्रय सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।
कृषि विभाग के उप संचालक ने बताया कि कृषि उत्पादन में हाईयील्डिंग, प्रमाणित एवं हायब्रिड बीजों की महत्वपूर्ण भूमिका है। अधिकांश अधिक उपज देने वाली किस्मों की पोषक तत्व ग्रहण करने की क्षमता अधिक होती है। अतः कृषकों द्वारा अधिक उपज प्राप्त करने की दृष्टि से उपयोग के साथ उर्वरकों की खपत में वृद्धि हुई है। मानसून के आगमन 155.90 मि.मि. वर्षा के साथ धान, दलहन एवं अन्य फसलों की फसल की बुआई प्रगति पर है, जिसमें अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए कृषकों द्वारा रसायनिक उर्वरकों की पूर्ति सहकारी एवं लायसेंसी निजी विक्रेताओं द्वारा की जाती है।
उन्होंने बताया कि वर्तमान में पौधों के पोषक तत्वों के पूर्ति हेतु यूरिया, सुपर फास्फेट, डाइअमोनियम फास्फेट (डी.ए.पी.), म्यूरेट आॅफ पोटास, इफको, 12ः32ः16, एन.पी.के. उर्वरकों की उपलब्धता जिले में हो रही है। उर्वरक औद्योगिक रुप से निर्मित रसायन है, जिसके पोषक तत्वों की उपलब्धता पौधों को शीघ्र होती है। कृषक शीघ्र प्रभाव देने वाली, अधिक पोषक तत्व की मात्रा वाली उर्वरक डी.ए.पी. का उपयोग करना अधिक पसंद करते हैं, क्योंकि इसमें 18 प्रतिशत नाइट्रोजन एवं 46 प्रतिशत स्फुर (फास्फोरस) है। वर्तमान में शासन द्वारा डी.ए.पी. उर्वरक की कम उपलब्धता को दृष्टिगत रखते हुऐ, पौधों के पोषक तत्व फास्फोरस की पूर्ति हेतु सुपर फास्फेट का उपयोग किया जा सकता है, क्योंकि इसमें 16 प्रतिशत स्फुर (फास्फोरस) एवं 11 प्रतिशत सल्फर होता है, सल्फर पौधों का महत्वपूर्ण पोषक तत्व है जो पौधों की वृद्धि एवं उत्पादन बढ़ाने में सहायक होता है। उन्होंने बताया कि सहकारी एवं निजी क्षेत्र में उर्वरकों के मूल्य नियंत्रण हेतु उर्वरक नियंत्रण आदेश 1985 की कंडिका 3 के अनुसार शासन द्वारा जारी गजट में निर्धारित अधिकतम मूल्य से अधिक कीमत पर कोई भी विक्रेता, निर्माता विक्रय नहीं कर सकता है। सहकारी एवं निजी लायसेंसी विक्रेताओं के प्रतिष्ठानों में उर्वरकों का मूल्य एक समान है। अतः कृषकों को उर्वरकों का निर्धारित मूल्य में क्रय करके रसीद प्राप्त करना चाहिए।

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