Home छत्तीसगढ़ सांस्कृतिक समृद्धि से होती है राज्य की पहचान : मुख्यमंत्री बघेल

सांस्कृतिक समृद्धि से होती है राज्य की पहचान : मुख्यमंत्री बघेल

by Surendra Tripathi

किसी राज्य की सबसे बड़ी पहचान उसकी सांस्कृतिक समृद्धि से होती है। हमने छत्तीसगढ़ में अपनी परंपरा को सहेजने और इसे देश दुनिया को दिखाने की दिशा में कार्य किया है। आज की जनधारा समूह द्वारा आयोजित कर्मवीर सम्मान समारोह के मौके पर मुख्यमंत्री  भूपेश बघेल ने यह बात कही। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ की एक अद्भुत सांस्कृतिक पहचान रही है। हमारी परंपराएं हमारा लोक संगीत, जीवन शैली को लेकर हमारी समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर रही है। छत्तीसगढ़ खनिज और नक्सल प्रभावित राज्य के रूप में जाना जाता था। हमने छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक पहचान को केंद्र में रखा है।

मुख्यमंत्री ने इस मौके पर कहा कि छत्तीसगढ़ की समृद्ध परंपरा रही है और छत्तीसगढ़ हमेशा से आत्मनिर्भर राज्य रहा है। हमारा आर्थिक जीवन भी हमारे सांस्कृतिक जीवन से गहराई से जुड़ा हुआ है। बस्तर का उदाहरण देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि बस्तर में लोहे की खदानें है पुराने जमाने में यहां के लोग उच्च गुणवत्ता का लोहा गलाते थे और इसके बदले चांदी खरीदते थे। जिससे सुंदर आभूषण तैयार करते थे। इस तरह हमेशा से समृद्ध व्यापार छत्तीसगढ़ में होता आया है। पशुपालन को लेकर भी छत्तीसगढ़ में समृद्ध परंपरा रही थी। भिलाई के उतई का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि यहां मवेशी बाजार लगता था। केवल यहां ही नहीं, पूरे देश भर में मवेशी बाजार लगते थे लेकिन पशुधन संवर्धन को लेकर नीति नहीं होने की वजह से ऐसे बाजारों का अस्तित्व समाप्त होता चला गया। किसी कृषि प्रधान क्षेत्र को विकसित करने के लिए पशुपालन को समृद्ध करना सबसे ज्यादा जरूरी होता है। इस सोच को लेकर हम नरवा, गरवा, घुरवा और बाड़ी योजना लेकर आए।

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