- भिलाई- नवजात शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिए जेएनएल अस्पताल के नवजात शिशु रोग विभाग ने कमर कस ली है। इसी कड़ी में आज दिनांक 12 मार्च, 2022 को सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र के जेएलएन अस्पताल एवं अनुसंधान केन्द्र में नवजात शिशु रोग विभाग द्वारा “नवजात शिशु पुनर्जीवन कार्यक्रम (नियोनेटल रिससिटेशन प्रोग्राम)” का व्यवहारिक आयोजन, ईडी (मेडिकल एवं हेल्थ सर्विसेस) डॉ एस के इस्सर तथा सीएमओ द्वय डॉ एम रवींद्रनाथ तथा डॉ प्रमोद बिनायके और विभागाध्यक्ष (बाल रोग विभाग) डॉ संबिता पंडा के कुशल मार्गदर्शन तथा नवजात शिशु रोग इकाई के प्रभारी डॉ सुबोध साहा के कुशल नेतृत्व में किया गया।
यह कार्यक्रम जेएलएन अस्पताल में नवजात शिशु मृत्यु दर को और कम करने तथा अस्पताल प्रबंधन द्वारा किये जा रहे समग्र प्रयासों और प्रतिबद्धताओं सुदृढ़ करने का एक महती आयोजन साबित हुआ है। यह अत्यंत गौरव का विषय है कि आज बीएसपी का जेएनएल अस्पताल व अनुसंधान केन्द्र में शिशु मृत्यु दर अत्यंत कम है जो पश्चिमी दुनिया के कुछ विकसित देशों के बराबर है।
नवजात शिशु रोग इकाई के प्रभारी डॉ सुबोध साहा और टीम के सक्षम नेतृत्व में यह कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस टीम के महत्वपुर्ण सदस्य हैं- डॉ संजीबनी पटेल और डॉ नूतन कुमार वर्मा और डॉ माला चौधरी।
उल्लेखनीय है कि दुनिया भर में 5 साल से कम उम्र में होने वाली मौतों में से 44 प्रतिशत नवजात शिशुओं की मृत्यु को रोका जा सकता है। इनमें से कम से कम 50 प्रतिशत मौतों को शैक्षणिक व व्यवहारिक प्रशिक्षण देकर कम किया जा सकता है जिसके तहत नवजात शिशु के पुनर्जीवन और नवजात के देखभाल से संबंधित आवश्यक तत्वों पर व्यवहारिक ज्ञान प्रदान किया जाता है।
कार्यक्रम का लक्ष्य नवजात मृत्यु दर को कम करना है, जो जन्म के समय नवजात शिशुओं की श्वसन अवरोध से संबंधित मृत्यु की रोकथाम कर इनके मृत्यु दर में कमी लाने पर ध्यान केंद्रित करता है।
प्रभारी (नवजात इकाई) डॉ सुबोध साहा के कुशल नेतृत्व में इस वैज्ञानिक कार्यक्रम का समन्वय कंसल्टेंट (शिशु रोग विभाग), डॉ माला चौधरी ने किया। भारत सरकार के परिवार कल्याण मंत्रालय के सहयोग से आयोजित इस कार्यक्रम में डॉ आकाश लालवानी (एनआरपी के लिए सीजी राज्य समन्वयक), डॉ नरेश पी मोटवानी और डॉ सीमा जैन महत्वपूर्ण भागीदारी निभायी है। इसके अतिरिक्त डॉ नोहर सिंग ठाकुर, डॉ मीता सचदेवा, डॉ कौशिक किशोर, डॉ वृंदा सखारे, डॉ रुचिका ताम्रकर आदि डाॅक्टरों ने भी इसे सफल बनाने में योगदान दिया है।