Home देश-दुनिया भारतीय शिक्षा को मौलिक बनाएं : डॉ. मुरली मनोहर जोशी,IIMC में आयोजित ‘धर्मपाल प्रसंग’

भारतीय शिक्षा को मौलिक बनाएं : डॉ. मुरली मनोहर जोशी,IIMC में आयोजित ‘धर्मपाल प्रसंग’

by Surendra Tripathi

नई दिल्ली-  पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. मुरली मनोहर जोशी ने कहा है कि अगर हमें भारत को फिर से विश्व गुरु बनाना है तो विज्ञान को कठिन नहीं, सरल बनाना होगा। उन्होंने कहा कि आज भारतीय शिक्षा व्यवस्था में चिंतन और मौलिकता की आवश्यकता है। हमें विज्ञान ओर तकनीक जैसे विषयों को आम जीवन के उदारहण से जोड़ना होगा। डॉ. जोशी शुक्रवार को सुप्रसिद्ध गांधीवादी चिंतक, विचारक, स्वतंत्रता सेनानी एवं भारतबोध के संचारक धर्मपाल जी की जन्म शताब्दी के अवसर पर भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) एवं समाजनीति समीक्षण केंद्र, चेन्नई के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम ‘धर्मपाल प्रसंग’ को संबोधित कर रहे थे।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डॉ. जोशी ने कहा कि शिक्षकों को चाहिए कि वे शिक्षण कार्य में सरल भाषा का प्रयोग करें, ताकि विद्यार्थी आसानी से उसे समझ सकें। प्रत्येक वर्ष शिक्षकों को एक नए तरीके से पढ़ाना चाहिए और उसमें हमेशा नवाचार का समावेश करना चाहिए। तभी हम ‘इंडिया’ को ‘इनोवेटिव इंडिया’ बना पाएंगे। उन्होंने कहा कि धर्मपाल जी ने अपने लेखों और साहित्य के द्वारा युवाओं को प्रबोधन किया। आज समय है कि भारत खुद को समझे। जब हम स्वयं को समझेंगे, तो विश्व भी भारत को समझेगा।

कार्यक्रम में हावर्ड विश्वविद्यालय में डिविनिटी के प्रोफेसर फ्रांसिस एक्स. क्लूनी, भारत सरकार के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार प्रो. के. विजय राघवन, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र, नई दिल्ली के अध्यक्ष श्री राम बहादुर राय, ‘तुगलक’ के संपादक श्री एस. गुरुमूर्ति एवं राष्ट्रीय शिक्षा नीति की प्रारूप समिति के सदस्य प्रो. एम. के. श्रीधरने भी हिस्सा लिया। आईआईटी चेन्नई में प्रोफेसर श्री अशोक झुनझुनवाला, सोसाइटी फॉर इंटीग्रेटेड डेवलपमेंट ऑफ हिमालयाज, मसूरी के संस्थापक निदेशक श्री पवन गुप्ता, विवेकानंद कॉलेज, चेन्नई के सेवानिवृत्त प्राध्यापक प्रो. के. वी. वरदराजन, सुप्रसिद्ध इतिहासकार एवं धर्मपाल जी की पुत्री प्रो. गीता धर्मपाल, प्रख्यात योगाचार्य श्री टी. एम. मुकुंदन, आईआईएमसी के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी, समाजनीति समीक्षण केंद्र के निदेशक डॉ. जे. के. बजाज एवं अध्यक्ष प्रो. एम. डी. श्रीनिवास ने भी कार्यक्रम में अपने विचार व्यक्त किए।

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