रायपुर-
सकारात्मक सोच से मन को ऊर्जा मिलती है और असाध्य बीमारियों का इलाज भी हो जाता है। कोरोना काल में संक्रमण से ग्रसित मरीजों से बातचीत कर उन्हें मानसिक संबल प्रदान किया, जिससे उन्हें अस्पताल जाने की आवश्यकता कम पड़ी और वे आइसोलेशन में ही स्वस्थ हो गए। यह बात राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके ने छत्तीसगढ़ मेंटल हेल्थ काउंसिल के उद्घाटन समारोह के दौरान कही। उन्होंने मेंटल हेल्थ काउंसिल के छत्तीसगढ़ चेप्टर का वर्चुअल शुभारंभ किया। वूमेन इंडियन चेम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज ने इस वेबिनार का आयोजन किया।
राज्यपाल ने कहा कि आज की परिस्थितियों में मानसिक स्वास्थ्य विषय बहुत महत्वपूर्ण है। इसके लिए वे सभी विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों में पाठ्यक्रम प्रारंभ करने के लिए कुलपतियों को एक पत्र भी लिखेंगे। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में लॉकडाउन के कारण बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे है और वर्कफ्राम होम जैसे व्यवस्थाओं के कारण आमजनों को घर से कार्य करने पड़ रहे है। इन सब परिस्थितियों के कारण मानसिक तनाव की स्थिति से गुजरना पड़ रहा है। यह परिस्थिति महिलाओं, पुरूषों, बच्चों एवं बुजुर्गाे भी में दिखाई दे रही है। आज मानसिक स्वास्थ्य पर सबसे अधिक कार्य करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में मानसिक बीमारियों के इलाज के लिए अंधविश्वास के चलते झाड़फूंक का सहारा लेते है। उनके लिए विशेष रूप से काउंसिलिंग शिविर आयोजित किए जाने चाहिए।
उन्होंने कहा कि लोग शारीरिक रूप से अस्वस्थ होने पर डॉक्टर के पास जाते है, किंतु मानसिक रूप से अस्वस्थ होने की बात स्वीकार नहीं करते और उसके इलाज के लिए मनोरोग विशेषज्ञ के पास नहीं जाना चाहते। मानसिक स्वास्थ्य के संबंधी जागरूकता लाने के लिए यह सबसे पहले आवश्यक है कि हम इसे स्वीकारें। समाज में आज भी बहुत बड़ी संख्या में लोग मानसिक स्वास्थ्य के बारे में जागरूक ही नहीं है। उन्होंने कहा कि मार्च 2020 में लॉकडाउन लगते ही, हम सबकी दुनिया पूरी तरह थम सी गयी थी। आइसोलेशन और क्वारेंटाइन वाले जीवन की हमने कभी कल्पना भी नहीं की थी। इन सबका असर बड़ी मात्रा में मानसिक स्वास्थ्य पर अवश्य पड़ा है।