दिल्ली सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी के स्कूलों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि पिछले साल मार्च के बाद अपने माता-पिता को खोने वाले बच्चों को उन्हीं स्कूलों में समायोजित किया जाए। यह निर्देश ‘डीडीए’ या सरकार द्वारा आवंटित जमीन पर चल रहे निजी स्कूलों को जारी कर दिया गया है। शिक्षा निदेशालय (डीओई) ने एक आधिकारिक आदेश में कहा, “सभी जिलों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया जाता है कि मार्च, 2020 के बाद कोविड-19 या अन्य कारण से जो बच्चे अनाथ हो गए हैं…ऐसे बच्चों को स्कूल में अपनी शिक्षा जारी रखने में सक्षम बनाने के लिए उचित ध्यान देने की आवश्यकता है।”
डीओई ने कहा कि ऐसे छात्रों को उसी स्कूल में समायोजित किया जा सकता है, अगर वे ‘डीडीए’ या सरकार द्वारा आवंटित भूमि पर चल रहे हैं। ऐसे छात्रों को आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग श्रेणी के तहत माना जा सकता है और शिक्षा निदेशालय द्वारा प्रतिपूर्ति का भुगतान किया जा सकता है तथा आठवीं कक्षा के बाद उन्हें किसी भी सरकारी स्कूल में प्रवेश दिया जा सकता है। महिला एवं बाल विकास विभाग के अनुसार, लगभग 5,500 बच्चे ऐसे हैं जिन्होंने राष्ट्रीय राजधानी में वायरस के कारण अपने माता-पिता में से किसी एक को खो दिया है। विभाग ने 268 ऐसे बच्चों की पहचान की है जो कोविड महामारी के दौरान अनाथ हो गए।