बिलासपुर/छत्तीसगढ़ में आयुर्वेदिक डॉक्टरों ने नियमितीकरण की मांग को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। जिसको लेकर शुक्रवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। सुनवाई के बाद जस्टिस पी.सेम.कोशी की सिंगल बेंच ने राज्य सरकार को आदेश दिया है कि आयुर्वेदिक डॉक्टरों के परफॉर्मेंस के हिसाब से उन्हें नियमित किया जाए। इसके अलावा कोर्ट ने कहा है कि दूसरे राज्यों के द्वारा जिस तरह आयुर्वेदिक डाक्टरों को रेगुलर किया गया है, उसे देखते हुए पॉलिसी भी बनाएं।
कांग्रेस सरकार ने वादा किया था
पूरे मामले को लेकर 15 आयुर्वेदिक डॉक्टरों ने हाईकोर्ट में एडवोकेट उत्तम पांडेय के माध्यम से याचिका दायर की है। जिसमें बताया गया है कि उन्हें 10 सालों से काम करने के बाद भी रेगुलर नहीं किया गया है। जबकि शिक्षा कर्मियों को नियमित कर दिया गया है। याचिका में आगे बताया गया कि कांग्रेस ने भी वादा किया था कि जब उनकी सरकार आयेगी तो रेगुलर कर दिय जायेगा। लेकिन अब यक वे वादा पूरा नहीं हुआ है।
2 डॉक्टरों की जान गई
याचिका के माध्यम से यह भी बताया गया है कि 2017 के बाद से उनकी वेतन वृद्धि नहीं की गई है। इसके अलावा कोरोना कॉल में भी आयुर्वेद के डॉक्टरों ने अपनी पूरी सेवा दी है, इस बीच दो डाक्टरों की कोविड से जान भी चले गई है। लेकिन उन्हें केवल एक-एक लाख का मुआवजा ही दिया गया है। इस समय पूरे प्रदेश में करीब 400 आयुर्वेदिक डॉक्टर काम कर रहे हैं।
याचिका में बताया गया कि नियमानुसार 10 वर्षों से लगातार कार्य करने वाले को नियमित करना होता है। देश के अन्य राज्यों में भी इसी नियम का पालन भी किया गया है। मामले में अधिवक्ता की दलील सुनने के बाद हाईकोर्ट ने शासन को डाक्टरों के परफार्मेंस और अन्य राज्यों को देखते हुए रेगुलर करने की पॉलिसी बनाने का आदेश दिया है।
*छत्तीसगढ़ में आयुर्वेदिक डॉक्टरों ने नियमितीकरण की मांग को लेकर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को दिया आदेश*
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