दुर्ग 02 जुलाई 2021/10 जुलाई को ’’नेशनल लोक अदालत’’ आयोजित की जा रही है। कोरोना संक्रमण काल की अवधि को देखते हुए नेशनल लोक अदालत में मोटर दुर्घटना दावा प्रकरणों के संबध में आज राजेश श्रीवास्तव जिला एवं सत्र न्यायाधीश /अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण -दुर्ग के द्वारा आनलाईन वर्चुवल माध्यम से बैठक आहूत की गई। उक्त बैठक में राज्य में स्थित लगभग सभी बीमा कंपनियों के अधिकारियों से नेशनल लोक अदालत में रखे जाने वाले मोटर दुर्घटना दावा प्रकरणों राजीनामा के अंतिम स्तर तक पहॅूचाये जाने के संबंध में बैठक में चर्चा की गई तथा बीमा कंपनियों के अधिकारियों को दावा प्रकरण के पीड़ित पक्षकार को दावा राशि मेें समझौता राशि निर्धारित कर पीड़ित पक्षकार को अवगत कराये जाने तथा उनके लंबित प्रकरण को राजीनामा के स्तर तक पहुॅचाये जाने का प्रयास किये जाने पर जोर दिया गया। आयोजित वर्चुवल बैठक में श्री श्रीवास्तव के साथ राज्य के बीमा कंपनी कार्यालय के अधिकारी उपस्थित रहे।
लोक अदालत असल में हमारे देश में विवादों के निपटारे का वैकल्पिक माध्यम है। इसे बोलचाल की भाषा में ‘लोगों की अदालत’ भी कहते हैं। इसके गठन का आधार 1976 का 42वां संविधान संशोधन हैए जिसके तहत अनुच्छेद 39 में आर्थिक न्याय की अवधारणा जोड़ी गई और शासन से अपेक्षा की गई कि वह यह सुनिश्चित करेगा कि देश का कोई भी नागरिक आर्थिक या किसी अन्य अक्षमताओं के कारण न्याय पाने से वंचित न रह जाए। लोक अदालत का मुख्य उद्देश्य है, विवादों का आपसी सहमति से समझौता कराना।
उक्त नेशनल लोक अदालत फिजिकल एवं वर्चूअल दोनो मोड से कि जाएगी । 10 जुलाई को आयोजित होने वाली नेशनल लोक अदालत में प्रकरण सुनवाई हेतु रखे जा सकते हैं।
*प्री-लिटिगेशन प्रकरण-* धारा 138 पराक्रम्य लिखत अधिनियम, राशि वसूली प्रकरण, विद्युत /जल कर से संबंधित प्रकरण, पारिवारिक विवाद, सिविल प्रकरण।
*न्यायालय में लंबित प्रकरण-* राजीनामा योग्य दाण्डिक प्रकरण, धारा 138 पराक्रम्य लिखत अधिनियम, मोटर दुर्धटना दावा प्रकरण, श्रम विवाद प्रकरण, पारिवारिक विवाद (तालाक को छोडकर), विद्युत प्रकरण, भूमि अधिग्रहण प्रकरण, अन्य सिविल ए एवं बी क्लास वाद।
*कोविड संक्रमण अवधि में वर्चुवल माध्यम से राज्य के बीमा कंपनियों के साथ नेशनल लोक अदालत के संबंध में बैठक ली गई*
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