Home छत्तीसगढ़ सकारात्मक सोच रखने वालों का मन शांत रहता है और बीमारियों से भी दूर रहते है: सुश्री उइके

सकारात्मक सोच रखने वालों का मन शांत रहता है और बीमारियों से भी दूर रहते है: सुश्री उइके

by admin

राज्यपाल विप्र कला, वाणिज्य एवं शारीरिक शिक्षा महाविद्यालय द्वारा आयोजित वेबीनार में हुई शामिल

रायपुर. सकारात्मक सोच रखने वालों का मन शांत रहता है और बीमारियों से भी दूर रहते है। अतः मेरा आग्रह है कि सकारात्मक रहे, मन को मजबूत रखे। राज्यपाल सुश्री अनुसईया उइके आज यहां विप्र कला, वाणिज्य एवं शारीरिक शिक्षा महाविद्यालय द्वारा आयोजित वेबिनार को संबोधित कर रही थी। उन्होंने कहा कि हम भागम भाग की जिदंगी में एक प्राकृतिक जीवन जीना भूल गए थे, लेकिन कोरोना ने हमें फिर से प्रकृति के अनुकुल जीना और परिवार के साथ समय व्यतीत करना इत्यादि सिखा दिया। राज्यपाल ने संस्थान को उनकी उपलब्धियों के लिए शुभकामनाएं दी।
राज्यपाल ने कहा कि इस काल में कोरोना संक्रमण की अपेक्षा उसकी भय से ज्यादा परेशान दिखे और मानसिक अवसाद से पीड़ित दिखे। जिससे उनका मनोबल कम होता दिखा। ऐसी समस्या का सामना करने के लिए सबसे प्रभावशाली हथियार है वह है योग। यह हमारी प्राचीन विद्या है, इसे अपनाकर प्राचीन काल में ऋषियों ने ऐसी रोग प्रतिरोधक क्षमता पैदा की थी जो बड़ी से बड़ी बीमारी उसे छू नहीं पाई थी। मेरा यह सपना है जब अपने अन्य कार्यों से निवृत्त हो जाऊंगी तो अपने गृह जिले में एक योग एवं नैचुरोपैथी संस्थान प्रारंभ करूंगी। वास्तव में प्राकृतिक तरीके से जीवन जीने और योग करने से शरीर में रोग प्रतिरोग क्षमता विकसित होती है। साथ ही सकारात्मक उर्जा भी मिलती है। कोरोना के इस लहर के बाद और अन्य लहर आने की आशंका जताई जा रही है परंतु मेरा आग्रह है कि हम अपने मन को मजबूत रखे और किसी भी अज्ञात भय से संशक्ति न हो। यदि हम पर्याप्त सावधानी रखेंगे तो तीसरी लहर या अन्य लहर को अवश्य रोक पाएंगे। शासन द्वारा ऐसे लहर को रोकने या सामना करने के लिए पर्याप्त तैयारी की जा रही है।
राज्यपाल ने कहा कि शरीर, मन एवं आत्मा का सामंजस्य पूर्ण विकास ही योग है। प्राचीन काल में योग विद्या को जीवन का अनिवार्य अंग माना जाता था, उसी प्रकार वर्तमान में इस जीवनदायिनी विद्या की अनुभूति आमजन को हुई। योग की महत्ता से सभी परिचित हो चुके हैं। यह वायरस शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता की कमी होने पर अधिक प्रभावी होता है। अतः हमें रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के उपाय करने होंगे। इसके विकल्प के रूप में योग ही साधन और साध्य दोनों है, क्योंकि शरीर, मन एवं आत्मा का सामंजस्यपूर्ण विकास ही योग है। यह केवल व्यायाम नहीं अपितु स्वयं के साथ विश्व एवं प्रकृति के साथ इकत्व खोजने का भाव है।
उन्होंने कहा कि जिस प्रकार भोजन से शरीर पुष्ट होता है उसी प्रकार प्राणायाम से हमारे आचार-विचार, व्यवहार, व्यक्तित्व सभी प्रभावित होते हैं। अतः मेरा आग्रह है कि प्राणायाम और ध्यान को नियमित जीवन में अपनाएं। इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होगी, मन शांत रहेगा और सकारात्मक भाव से परिपूर्ण रहेगा। निश्चित ही हम कोरोना को हराने में सफल होंगे। इस वेबीनार में पं. रविशंकर विश्वविद्यालय के कुलपति श्री केशरी लाल वर्मा, छत्तीसगढ़ युवा विकास संगठन शिक्षण समिति के अध्यक्ष श्री ज्ञानेश शर्मा, विप्र महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. मेघेश तिवारी ने अपना संबोधन दिया। इस वेबीनार में देश-विदेश से बड़ी संख्या में प्रबुद्धगण उपस्थित थे।

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