दुर्ग / कोविड के संकट के बीच मनरेगा योजना जिले के ग्रामीणों के लिए संजीवनी की तरह साबित हुई। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश पर कोरोना काल में मनरेगा के काम छत्तीसगढ़ के गाँवों में सबसे पहले शुरू हुए। दुर्ग जिले में देखें तो 66 करोड़ रुपए के श्रम दिवस का भुगतान मजदूरों को किया गया। फिलहाल 48 हजार मजदूर मनरेगा के लिए कार्य कर रहे हैं। ब्लाक वार इनकी संख्या देखें तो जनपद पंचायत दुर्ग में 12 हजार से अधिक मजदूर, धमधा ब्लाक में 23 हजार से अधिक मजदूर तथा पाटन जनपद में 13 हजार से अधिक मजदूर कार्य कर रहे हैं। जिला पंचायत सीईओ सच्चिदानंद आलोक ने बताया कि कलेक्टर डाॅ. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे के मार्गदर्शन में पंचायतों में उपयोगी कार्यों का चिन्हांकन कर मनरेगा के कार्य कराए जा रहे हैं। प्रत्येक ग्राम पंचायत को सबसे उपयोगी कार्यों के चिन्हांकन के लिए कहा गया है। मनरेगा कार्यों के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में जलसंचय से संबंधित संरचनाओं पर ठोस कार्य हो रहा है। साथ ही ग्रामीण जरूरतों के मुताबिक उपयोगी संरचनाएं भी बनाई जा रही हैं।
3845 परिवारों को 100 दिन से अधिक का रोजगार- सीईओ ने बताया कि मनरेगा योजना के माध्यम से इस बार 3845 परिवारों को सौ दिनों से अधिक का रोजगार मिला है। साथ ही 40 परिवारों को एक सौ पचास दिनों का रोजगार भी प्राप्त हुआ है। उन्होंने बताया कि मनरेगा अंतर्गत जल संचय के लिए तालाब गहरीकरण कार्य, डबरी निर्माण, नया तालाब निर्माण, सोक पीट आदि के काम तो कराये जा रहे हैं। साथ ही पशुपालन गतिविधियों को बढ़ाने के लिए भी विशेष कार्य कराये जा रहे हैं। इनमें बकरी शेड, मुर्गी शेड निर्माण जैसे कार्य प्रमुख हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों के लिए वरदान साबित हुई मनरेगा योजना- कोविड काल में मनरेगा के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में अर्थव्यवस्था की गतिविधि चलती रही। यह कार्य उन लोगों के लिए विशेष तौर पर उपयोगी रहा जो लाकडाउन के चलते महानगरों को छोड़कर ग्रामीण क्षेत्रों में वापस लौट आए थे। क्वारंटीन पीरिएड काटने के बाद इन्होंने मनरेगा में मजदूरी की और इनकी आजीविका का आधार बना रहा।
सैनेटाइजेशन तथा सोशल डिस्टेंसिंग के साथ चलाई गई योजना- उल्लेखनीय है कि कोरोना काल में सोशल डिस्टेसिंग तथा सैनेटाइजेशन जैसी गतिविधियों के साथ ही कार्य चलाया गया। सभी कार्यस्थलों में सैनिटाइजेशन का प्रयोग अनिवार्य था। इसके चलते मनरेगा से जुड़े कार्य भी बखूबी होते रहे। साथ ही लोगों को संक्रमण से दूर रखने में भी मदद मिली।
कोरोना काल में मनरेगा की संजीवनी, वित्तीय वर्ष में 66 करोड़ रुपए का मजदूरी भुगतान हुआ
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