नई दिल्ली | जो बाइडेन के अमेरिका की सत्ता में आते ही आतंक का पनाहगार पाकिस्तान अब बाइडेन प्रशासन को अपनी मीठी-मीठी बातों में लुभाने की कोशिशों में जुट गया है। पाकिस्तान ने बाइडेन प्रशासन से कहा कि वह अब बदल गया है और नए जमीनी हकीकत के आधार पर उसे रिश्ता डेवलप करना चाहिए। जबकि हकीकत तो यह है कि पाकिस्तान अब भी वही आतंकिस्तान है। पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने रविवार को कहा कि उनका देश अमेरिका के नये प्रशासन के साथ काम करने के लिए तैयार है। कुरैशी ने साथ ही इस बात पर जोर दिया कि पिछले चार वर्षों में पाकिस्तान बदल गया है, दुनिया बहुत बदल गई है और कोई भी संबंध एवं जुड़ाव नई जमीनी वास्तविकता के आधार पर विकसित होने चाहिए।
विदेश मंत्री कुरैशी ने मुल्तान में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, ‘(इन) चार साल में दुनिया बदल गई है, क्षेत्र बदल गया है और पाकिस्तान बदल गया है और आपको इस नए पाकिस्तान के साथ जुड़ना होगा।’ उन्होंने कहा कि पाकिस्तान सरकार अमेरिका की नई सरकार के साथ काम करने के लिए तैयार है और उसे उम्मीद है कि बाइडन प्रशासन ‘नए दृष्टिकोण और नई नीति दिशानिर्देशों’ द्वारा निर्देशित होगा। ट्रंप प्रशासन के दौरान पाकिस्तान और अमेरिका के बीच संबंध अव्यवस्थित होने के साथ-साथ जटिल भी थे।
पाकिस्तानी वेबसाइट डॉन के मुताबिक, कुरैशी ने कहा, ‘मैं समझता हूं कि अमेरिका में वर्तमान सोच और हमारी नीतियों के बीच बहुत समानता है।’ उन्होंने कहा कि उन्होंने अमेरिका के नये विदेश मंत्री एंथनी ब्लिंकेन को संबोधित पत्र में उनसे पाकिस्तान की नीतियों के सकारात्मक बदलाव के बारे में बात की थी। कुरैशी ने अपने देश की तारीफ तो की है, मगर इस दौरान उन्होंने भारत के खिलाफ खूब जहर उगला। कुरैशी ने कहा कि भारत भी बदल गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि वह अब एक लोकतांत्रिक देश नहीं रह गया है।
उन्होंने कहा कि भारत के भीतर से विरोध की आवाजें उठ रही हैं और इस बात की पुष्टि हो रही है कि यह धर्मनिरपेक्ष भारत नहीं है। यह हिंदुत्व का एक नया चेहरा है और भारत आरएसएस की सोच का एक नया व्यावहारिक प्रदर्शन बन गया है। कुरैसी ने आरोप लगाया कि भारत में अल्पसंख्यक खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। बता दें कि पठानकोट स्थित वायुसेना बेस पर जनवरी 2016 में पाकिस्तानी आतंकवादी समूह द्वारा हमले के बाद भारत पाकिस्तान के साथ बातचीत नहीं कर रहा है।
यह बयान ऐसे समय आया है जब पाकिस्तान तालिबान के साथ शांति समझौते के मद्देनजर वाशिंगटन के साथ संबंधों में सुधार के लिए उत्सुक है जिसके बारे में उसका दावा है कि इस्लामाबाद ने इसे संभव बनाया। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान पहले ही द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए नए अमेरिकी प्रशासन के साथ काम करने की इच्छा व्यक्त कर चुके हैं।