कोरबा| आनंदम धाम वृंदावन के संत रीतेश्वर महराज ने आज कोरबा में प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि समय की आवश्यकता के हिसाब से भारत का संविधान अलग-अलग संदर्भ के हिसाब से उस समय तैयार किया गया था। वर्तमान दौर में जो विषयवस्तु आवश्यक नहीं प्रतीत होती, उसे संशोधित किया जाना चाहिए। सीएसईबी के गेस्ट हाउस में पत्रकारों से चर्चा करते हुए संत रीतेश्वर महराज ने यह बात कही। उन्होंने कहा कि भारत की स्वाधीनता के बाद यहां संविधान की रचना की गई। 60 सदस्यों के समूह ने इस पर काम किया। मुखिया के तौर पर डॉ. भीमराव अंबेडकर ने अपनी भूमिका निभाई। उस दौर में जो कुछ आवश्यक प्रतीत हुआ, उसे ध्यान में रखते हुए संविधान में जगह दी गई। उन्होंने वर्तमान परिस्थितियों में संविधान में संशोधन की आवश्यकता पर बल दिया। अपनी बात को उदाहरण के द्वारा स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा कि जब घर और संस्थान में समीकरण बदलते हैं, स्थितियां हमारे अनुकूल नहीं होती हैं, तब बहुमत से निर्णय लेने के साथ कई चीजें बंद कर दी जाती हैं और संतुलन स्थापित किया जाता है। बहूमत से चुनी गई सरकारों को भी ऐसे मामलों में शक्तियां प्राप्त होती है। जरूरत इस बात की है कि अब जो कुछ आवश्यक नहीं रह गया है, उसे संशोधित किया जाए। आरक्षण व्यवस्था से संबंधित एक सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने मीडिया को कहा-आपको भी प्रावधान के बारे में जानकारी है। सभी लोग अध्ययन कर सकते है। आरक्षण कितने समय के लिए किन कारणों से दिया गया था, यह भी साफ तौर पर वर्णित है। उन्होंने रामजन्म भूमि मंदिर निर्माण सहित कई और विषयों से जुड़े सवालों के जवाब सटीक रूप से दिए।
*शहरी क्षेत्र में समर्पण निधि पर कार्य होगा कल
जिले के शहरी क्षेत्र में राममंदिर निर्माण के लिए समर्पण निधि प्राप्त करने के लिए 25 जनवरी को काम किया जायेगा। इससे पहले आज विभिन्न क्षेत्रों में जनजागरण समिति के सदस्यों ने भ्रमण करने के साथ लोगों को जानकारी दी। औपचारिक प्रक्रिया कुछ मामलों में आज ही पूरी की गई। दानदाताओं के उत्साह को देखते हुए अतिरिक्त कार्यबल लगाया गया।
संविधान में जो जरूरी नहीं उसे किया जाये संशोधित-संत रीतेश्वर महाराज
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